श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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नमन हे झाँसी की रानी नमन,
कितनी हिम्मत थी तुझमें
तेरी हिम्मत को नमन,
नमन तुझको नमन।
दुश्मन को आप खूब थर्राई थी,
कमर कसके आगे आई थी
खूब लड़ी ना घबराई थी,
दुश्मनों को भगाई थी।
मन्नू बेटी दूध पिया था शेरनी का,
बनी थी बहू रानी झाँसी की
कर के घोड़े की सवारी,
दुश्मनों को ललकारा।
अहोभाग्य आपका जन्म हुआ
झाँसी से ले के हरेक राज्य
दुश्मनों से संग्राम हुआ,
नारी का नाम हुआ।
नमन करती हूँ माँ भारती को,
ऐसी सुपुत्री हरेक माँ को दे।
लाज बचाए वसुन्धरा की,
हर नारी को ज्ञान दे॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।