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सघन हो वृक्ष जहाँ

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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वृक्ष हैं भाग्यशाली वहाँ,
झूमे डाली-डाली जहाँ
इतराते पत्ते होकर उन्मत्त,
मस्ती के तराने गाते वहाँ।

चिड़ियों का बसेरा रहे सदा,
मधुर कलरव से गुंजाएं फ़िजां
इक पेड़ से दूजे पेड़ों पर उछल,
हिण्डोला झूलें दिन-रात जहाँ।

हो प्रेम से हिफाजत उनकी सदा,
हो दूर तक विस्तृत जड़ें जहाँ
ठुमक-ठुमक दाने चुने चिड़िया,
झुक-झुक लताएं चूमें धरा।

प्रांगण में गिलहरियाँ खेलें सदा,
दौड़ प्रतियोगिताएं वो करती वहाँ
फिर लौट वृक्ष तले आ जाएं,
खुशियों की बहारें नित होती वहाँ।

पल भर में मेघ छा जाते वहाँ,
ऊँचे और सघन हों वृक्ष जहाँ।
मदमस्त चोटियां उछल-उछल,
कोशिश करती छूने को आसमां॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

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