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राष्ट्र के प्रति नागरिक-दायित्व और निष्ठा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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स्वतंत्र देश और हमारी ज़िम्मेदारी…

हर स्वतंत्र देश के नागरिकों का दायित्व है कि, वे संविधान का पूरी तरह से पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान का सम्मान करें। स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका सम्मान करें। भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें। राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करता है। हर किसी को सभी नियमों और नियमन का पालन करने के साथ ही विनम्र और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार होना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए राष्ट्र के प्रति बहुत से कर्तव्य होते हैं, जैसे देश के आर्थिक विकास हेतु करों का पूर्ण ईमानदारी से चुकाया जाना, कर्तव्यनिष्ठा, स्वच्छता, पर्यावरण-संरक्षा, यातायात नियमों का पालन, ईमानदारी, सामाजिक समानता, सभी के लिए आदर-भाव रखना, राष्ट्रहित को सर्वाधिक महत्व दिया जाना, नैतिक मतदान, स्वास्थ्य चेतना, युवा जागरण, अनुशासन, बालश्रम समाप्ति में सहयोग, और भी बहुत से ऐसे कार्य हैं, जो देश के नागरिकों को देशहित के लिए करने ही चाहिए। देश का सच्चा व ईमानदार नागरिक वही है, जो देशहित के बारे में सोचता है। जो लोग देश को आनि पहुंचाने की बात करते, वे देश के नागरिक नहीं, बल्कि देशद्रोही हैं। ऐसे लोगों का समाज द्वारा बहिष्कार किया जाना चाहिए। हर नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए देशहित के बारे में सोच कर देश को आगे बढ़ाना चाहिए।
देश के नागरिक किसी भी हिस्से में रहते हो, उन्हें मौलिक अधिकार अवश्य मिलते है। नागरिकों के कुछ मौलिक कर्त्तव्य हैं, जो उन्हें हमेशा निभाने चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सदैव सम्मान करना चाहिए। देश के नागरिकों को देश की एकता, शक्ति और अखंडता की सुरक्षा करनी चाहिए। सार्वजनिक संपत्ति और चीज़ों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। हमें पर्यावरण, प्रकृति की हमेशा रक्षा करनी चाहिए। हमें उनके बलिदानों को हमेशा याद करना चाहिए कि, उन्होंने हमारे देश के लिए क्या किया है। हमें देश में शान्ति और प्रेम बनाए रखने के लिए भाईचारे को कायम रखना चाहिए, यह ज़रूरी है।
नागरिकों के विकास की जिम्मेदारी स्वयं नागरिकों पर ही है। नागरिकों को राज्य की तरफ से नागरिक स्वाधीनता प्राप्त है। नागरिकों का कर्त्तव्य है कि, ना केवल वह अपने परिवार और आस-पास के लोगों को खुश रखे, बल्कि अपने नगर और समाज की उन्नति के लिए भी उचित कार्य करें। नागरिकों को अपने कर्त्तव्य का पालन करने के लिए न्यायलय भी बाध्य या दबाव नहीं डाल सकता है। यदि कोई नागरिक अपने कर्तव्यों की अवहेलना कर रहे हैं, तो कोई उन्हें कर्त्तव्य का पालन करने के लिए ज़बरदस्ती नहीं कर सकता है, लेकिन नागरिकों को अपने कर्तव्यों का आत्मनिष्ठा से ही पालन करना चाहिए।
नागरिकों का कर्त्तव्य है कि, वह संविधान के नियमों का ढंग से पालन करें। जब भी देश का झंडा फहराया जाए उसको मान-सम्मान देने के लिए सावधान हो खड़े हो जाएं। हमारे देश का झंडा हमारा गौरव है, इसकी इज़्ज़त करना हमारा कर्त्तव्य है।
देश के नागरिक होने के नाते से हमें सामूहिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे देश की उन्नति होती है, देश नई उपलब्धियों को छू सकता है। नागरिकों की भलाई के लिए राज्य कानून बनाता है। इसलिए नागरिकों की अहम जिम्मेदारी है कि, वह कानूनों का पालन करे। देश के विकास के लिए धन की ज़रूरत होती है, इसलिए नागरिकों का कर्त्तव्य है कि वे आर्थिक अनियमितता कदापि न करें, पूरी ईमानदारी के साथ कर चुकाएं।
प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म पालन करने की भारत में स्वतंत्रता है। यह एक धर्मनिरपेक्ष देश है। कोई भी नागरिक किसी दूसरे को कोई भी धर्म मानने के लिए दबाव नहीं डाल सकता है। सभी नागरिकों को पुरानी कुरीतियों और अंधविश्वासों को समाप्त कर देना चाहिए। नए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संग चलना चाहिए। अच्छी और विकसित परम्पराओं को अपनाकर समाज और देश का विकास करना चाहिए। हमें बगैर किसी पक्षपात के देश के हित में काम करना चाहिए।
राष्ट्र हित के लिए मौलिक कर्त्तव्य ज़रूरी है। मनुष्य की यह जिम्मेदारी है कि, वह अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन करे। अधिकार और कर्त्तव्य दोनों ही महत्वपूर्ण है। अधिकारों के लाभ उठाने के संग कर्तव्यों को निभाना ज़रूरी है। देश का उचित और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हमें अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए।

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।