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हिंदी आलोचना के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. नंद किशोर नवल का निधन

पटना (दिल्ली)।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी आलोचना के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ. नंद किशोर नवल का १२ मई मंगलवार की रात निधन हो गया। ८२ वर्ष के डॉ. नवल ने आलोचना के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी,साथ ही निराला रचनावली,दिनकर रचनावली और रुद्र रचनावली का भी सम्पादन किया था। नामवर सिंह के बाद हिंदी के क्षेत्र में आपको ही सबसे बड़ा आलोचक माना जाता था।
नामवर सिंह के सहायक डॉ. नवल को निमोनिया हो गया था,एवं कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। आपका जन्म १९३७ में २ सितम्बर को बिहार के वैशाली जिले के चांदपुरा में हुआ था। डॉ. नंद किशोर नवल की महत्वपूर्ण रचनाओं में कविता की मुक्ति, हिंदी आलोचना का विकास,शताब्दी की कविताएं,समकालीन काव्य यात्रा,कविता के आर-पार प्रमुख हैं। डॉ. नवल पटना विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। ४० वर्ष पूर्व उन्होंने १९८० में ‘धरातल’ नामक पत्रिका भी निकाली।
आलोचना के क्षेत्र में आपका साहित्यिक अवदान-कविता की मुक्ति,हिन्दी आलोचना का विकास,प्रेमचंद का सौदर्य शास्त्र,महावीर प्रसाद द्विवेदी,शब्द जहाँ सक्रिय हैं,यथाप्रसंग सहित समकालीन काव्य-यात्रा,मुक्तिबोध ज्ञान और संवेदना,निराला और मुक्तिबोध: चार लंबी कविताएँ एवं दृश्यालेख आदि है। प्रमुख आलोचक के रूप में स्थापित डॉ. नवल को रामचंद्र शुक्‍ल पुरस्‍कार,
सुब्रहम्‍णयम् भारती पुरस्‍कार एवं दिनकर पुरस्‍कार प्रमुख रूप से मिला था। आपके निधन पर हिंदी भाषा डॉट कॉम परिवार ने गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं।

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