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वह सफाईवाली

सुरेश चन्द्र सर्वहारा
कोटा(राजस्थान)
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नई-नई ब्याहता
वह सफाईवाली,
घूँघट निकाले
आई है करने सड़क की सफाई,
सकुचाती शरमाती
अपने में सिकुड़-सिकुड़ जाती,
उठाती घरों से कचरा
देख रही,
वर्ग-भेद की गहरी खाई।
कड़ी धूप में
पड़ रही देह काली,
सर्दी में
हो उठी त्वचा
रूखी-सूखी खुरदरी,
बरसात में भीगकर
चिपक गये हैं
कपड़े तन से,
सिहर रही
यौवन से देह भरी।
बीत गए ऐसे
कितने ही साल,
अब तो होने लगी है
थकान से,
वह भी निढाल।
समय की कठोरता ने,
कर दिया है
मन उसका कर्कश,
और एक दिन
निर्बल-तन वह,
गिर ही पड़ी भूमि पर
खाकर के गश।
आई है आज,
उसी की पुत्रवधू करने
सड़क की सफाई,
खप जाती है
इन मेहनतकश दलितों की पीढ़ियाँ,
ऐसे ही
करते पेट-भराई।

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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