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विश्व हिंदी दिवस पर मेरी गुहार

डॉ.एम.एल.गुप्ता ‘आदित्य’ 
मुम्बई (महाराष्ट्र)

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विश्व हिंदी दिवस विशेष…..

जब अपने ही घर में हिंदी,लटकी अधर में,
बच्चे लिख-पढ़ नहीं पा रहे हिंदी,घर में।
हम लगे विश्व में,हिंदी का करने को प्रसार,
जब जड़े ही सूख रही हों,तो सोचिए,
पत्तों पर पानी डाल,कैसे आएगी बहार।

जब नहीं मिलता देश में,हिंदी से रोजगार,
तो विदेशों में हिंदी का कोई,क्या करेगा यार ?
छोटी-सी यह सोच है मेरी,और छोटा-सा विचार,
ज्यादा कुछ नहीं कर सको तो,इतनी-सी है गुहार।
प्राइमरी तक तो हिंदी माध्यम,करवा दो सरकार॥

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