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जीवनभर लोगों को ज्ञान दिया

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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स्वामी विवेकानंद भारत में पैदा हुए महापुरुषों में से एक है। अपने महान कार्यों द्वारा उन्होंने पाश्चात्य जगत में सनातन धर्म,वेदों तथा ज्ञान शास्त्र को काफी ख्याति दिलाई और विश्वभर में लोगों को अमन तथा भाईचारे का संदेश दिया।
एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले नरेंद्रनाथ अपने ज्ञान तथा तेज के बल पर विवेकानंद बने। अपने कार्यों द्वारा उन्होंने विश्व भर में भारत का नाम रोशन करने का कार्य किया। यहीं कारण है कि वह आज के समय में भी लोगों के प्रेरणास्त्रोत हैं।
स्वामी विवेकानंद का जन्म १२ जनवरी १८६३ को कलकत्ता में मकर संक्रांति के त्योहार के अवसर पर परंपरागत कायस्थ बंगाली परिवार में हुआ था। वह पिता के तर्कसंगत(वकील) मन और माता के धार्मिक स्वभाव वाले वातावरण के अन्तर्गत सबसे प्रभावी व्यक्तित्व में विकसित हुए।
वह बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक व्यक्ति थे और हिन्दू भगवान की मूर्तियों (भगवान शिव,हनुमान आदि) के सामने ध्यान किया करते थे। वह अपने समय के घूमने वाले सन्यासियों और भिक्षुओं से प्रभावित थे। बचपन में बहुत शरारती थे और अपने माता-पिता के नियंत्रण से बाहर थे। वह अपनी माता के द्वारा ‘भूत’ कहे जाते थे। उनके एक कथन के अनुसार, “मैंने भगवान शिव से एक पुत्र के लिए प्रार्थना की थी और उन्होंने मुझे अपने भूतों में से एक भेज दिया।”
वह सामाजिक विज्ञान,दर्शन,इतिहास,धर्म,कला और साहित्य जैसे विषयों में बहुत अच्छे थे। उन्होंने पश्चिमी तर्क,यूरोपीय इतिहास,पश्चिमी दर्शन,संस्कृत शास्त्रों और बंगाली साहित्य का अध्ययन किया।
वह बहुत धार्मिक व्यक्ति थे हिन्दू शास्त्रों (वेद, रामायण,भगवत गीता,महाभारत,उपनिषद,पुराण आदि) में रुचि रखते थे। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत,खेल,शारीरिक व्यायाम और अन्य क्रियाओं में भी रुचि रखते थे। उन्हें विलियम हैस्टै (महासभा संस्था के प्राचार्य) द्वारा “नरेंद्र वास्तव में एक प्रतिभाशाली है” कहा गया था।
वह हिंदू धर्म के प्रति बहुत उत्साहित थे और हिन्दू धर्म के बारे में देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह लोगों के बीच में नई सोच का निर्माण करने में सफल हुए। वह पश्चिम में ध्यान,योग और आत्म-सुधार के अन्य भारतीय आध्यात्मिक रास्तों को बढ़ावा देने में सफल हो गए। वह भारत के लोगों के लिए राष्ट्रवादी आदर्श थे।
उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों के माध्यम से कई भारतीय नेताओं का ध्यान आकर्षित किया। भारत की आध्यात्मिक जागृति के लिए श्री अरबिंद ने उनकी प्रशंसा की थी। महान हिंदू सुधारक के रुप में जिन्होंने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया,महात्मा गाँधी ने भी उनकी प्रशंसा की। उनके विचारों ने लोगों को हिंदु धर्म का सही अर्थ समझाने का कार्य किया।
जब भी स्वामी विवेकानंद के विषय में बात होती है, तो उनके शिकागो भाषण के विषय में चर्चा जरुर की जाती है,क्योंकि यही वह क्षण था जब स्वामी विवेकानंद ने अपने ज्ञान तथा शब्दों द्वारा पूरे विश्व भर में हिंदू धर्म के विषय में लोगों का नजरिया बदलते हुए,लोगों को आध्यात्म तथा वेदांत से परिचित कराया। अपने इस भाषण में उन्होंने विश्व भर को भारत के ‘अतिथि देवो भवः’,सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकार्यता के विषय से परिचित कराया।
उन्होंने बताया कि,जिस तरह भिन्न-भिन्न नदियां अंत में समुद्र में ही मिलती हैं,उसी प्रकार विश्व के सभी धर्म अंत में ईश्वर तक ही पहुंचाते हैं और समाज में फैली कट्टरता तथा सांप्रदायिकता को रोकने के लिए हम सबको आगे आना होगा,क्योंकि बिना सौहार्द तथा भाईचारे के विश्व तथा मानवता का पूर्ण विकास संभव नहीं है। उनके इन्हीं कार्यों के लिए चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल) ने कहा कि “स्वामी विवेकानंद ही वह व्यक्ति थे,जिन्होंने हिन्दू धर्म तथा भारत को बचाया था।” उन्हें सुभाष चन्द्र बोस के द्वारा ‘आधुनिक भारत के निर्माता’ कहा गया था। उनके प्रभावी लेखन ने बहुत से भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं, जैसे-नेताजी सुभाष चंद्र बोस,बाल गंगाधर तिलक,अरविंद घोष,बाघा जतिन आदि को प्रेरित किया।
अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी स्वामी विवेकानंद कभी सत्य के मार्ग से हटे नहीं और अपने जीवनभर लोगों को ज्ञान देने का कार्य किया। अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया तथा भारत और हिंदुत्व का नाम रोशन करने का कार्य किया।

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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