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शिक्षक

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)….

शिक्षक हम पर उपकार करे,
शिक्षक दिवस की आज बधाई
अक्षर-अक्षर शिक्षक झलके,
पन्नों में विद्या मुस्काई।

ज्ञान, हुनर और सीख देते,
कभी प्यार से सर सहलाए
भटके न ध्यान कभी ज्ञान से,
कभी प्यार से चपत लगाए।

लेखनी भर स्याही सँग-सँग,
शिक्षकों के श्रम उतरते हैं
हम जब भी पढ़ते-लिखते हैं,
शिक्षक बन शब्द बिखरते हैं।

अपना सब ज्ञान बांट देते,
जो भी वह ज्ञान रखे अंदर।
पढ़ा-पढ़ा इंसान बनाया,
वरना मानव है एक बंदर॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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