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शिवजी आए द्वार हमारे

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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दोपहर का समय था… “आंटी जी! आंटी जी! इतना लम्बा सांप! जल्दी बाहर आओ…” घबराई-सी प्रियंका की आवाज आई।

मैं रसोई में थी, सांप का नाम सुनकर डरती हुई बाहर आई तो देखा बरामदे के दूसरी तरफ नाली में से रेंगता लंबा सांप दीवार के सहारे रखी पत्थर की लम्बी पट्टी के अन्दर चला गया। मेरे शोर मचाने पर सभी पड़ोसिनें इकठ्ठी हो गईं और सांप को बाहर निकालने की तरकीब सोचने लगीं।
एक और पड़ोसन आकर बोली,-“सावन का महीना चल रहा है। सोमवार का दिन है। शिव जी आपके घर पधारे हैं। मारना मत, पाप लगेगा। दूध पिलाओ। पूजा अर्चना करो।”
वह हॅंस-हॅंसकर बतिया रही थी और हमारा हाल-बेहाल। तभी एक पड़ोसन के पति, जिनका ऑफिस नजदीक था, खाना खाने आए। सांप के बारे में सुनकर बोले-“कहां है ?”
मैंने दूर से बताया।
उन्होंने आकर पत्थर को उलट दिया। सांप को रास्ता मिल गया, वह बाहर की तरफ तेजी से भागा और दुर्भाग्यवश उस शिवजी वाली पड़ोसिन के घर घुस गया। अब तो वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी-“अरे! उस रंजना की बच्ची ने सांप हमारे घर भेज दिया। कोई पकड़ो रे! मारो रे।”
सारे घर में सांप की खोज शुरू हो गई। ऑफिस से पति को भी फोन करके बुला लिया। शाम तक सब ढूंढते रहे और हमें भला-बुरा कहते रहे। सांप ना मिला। सोचती हूँ उसके घर जाने पर शिव जी महाराज सांप कैसे बन गए ?आज भी इस घटना को याद कर हम सब औरतें हॅंसती हैं।

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

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