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अकेलापन

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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अकेलेपन से दूरियाँ,
अक्सर बढ़ जाती है
समय बहुत मुश्किल से,
कांपते हुई कटता है।

अहसास नहीं होता है,
जिंदगी में एक पल भी यहां
अकेलेपन की यही तासीर,
बयां करती रहती है,
हरक्षण यहां-वहां।

यह अकेलापन सभी को,
यहां-वहां काटता फिरता है
मुश्किल वक्त में कभी कोई,
आँखों के सामने नहीं दिखता है।

यहां आरज़ू के सहारे,
जिंदगी में खुशियाँ
मुकम्मल हो कि बातें,
अक्सर लोग नहीं करते हैं
जानकर भी अनजान बन कर,
भागते-फिरते दूर रहने की,
फ़िक्र में भिड़े रहते हैं।

लोगों की ख्वाहिश आबाद रहें,
इसके लिए लोगों को
जानना-परखना जरूरी है,
साथ का साथ बना रहे
आजमाने की कोशिश करते रहना,
आज़ बन चुकी एक बड़ी मजबूरी है।

अकेलेपन का अहसास हो तो,
ख़ुद को सम्हालना जरूरी है।
आँसुओं को तन्हाई में बैठे हुए,
गिराना लगता नहीं जरूरी है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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