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शिव यानि कल्याणकारी

राधा गोयल
नई दिल्ली
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शिवरात्रि विशेष….

यह शाश्वत सत्य है कि हम दुनिया में मानव रूप में आए हैं तो जग कल्याण हमारा धर्म है। कल्याण करना एक शाश्वत सत्य है। जो सत्य है,वह सुन्दर न दिखते हुए भी सुन्दर होता है। कल्याणकारी कार्य एक सनातन सत्य है। जो सत्य है,वही शुभ है। इसीलिए यह उक्ति कही जाती है-‘सत्यम शिवं सुन्दरम।’
शिव वह…जो समुद्र मन्थन से निकले हलाहल को पी लेता है। अपने पास कुछ संचित नहीं करता। सब दूसरों में बाँट देता है। वो देना जानते हैं तो विध्वंस करना भी। जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है,असत्य अपने पैर पसारने लगता है,आतंकी शक्तियाँ संसार को इतना सताने लगती हैं कि धरती भयग्रस्त हो कराहने लगती है,तब कल्याणकारी शिव अपना प्रलयंकारी रूप भी दिखाते हैं। दुष्टों का दमन करके सज्जनों को त्रास से मुक्त करते हैं।
शिव औघड़दानी हैं। सब कुछ दान कर देते हैं। यहाँ तक कि पार्वती ने बड़े अरमान से जो लंका नगरी बनवाई थी,वह भी रावण के पिता विश्रवा के माँगने पर दक्षिणा में दे दी।
वे काम के वश में नहीं रहते। काम उनके पास नहीं फटकता। एक बार देवताओं के बहुत अनुरोध पर कामदेव ने कोशिश की थी। एक असुर के संहार के लिए शिव के तेज से एक पुत्र चाहिए था। कामदेव और रति ने शिव की समाधि भंग करने के अनेक प्रयास किए। आखिरकार शिव की समाधि टूटी। क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया। रति के विलाप करने पर शिव ने सान्त्वना देते हुए उसे कहा कि तेरा पति अनंग रूप से संसार में रहेगा और द्वापर युग में कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेगा।
शिव सामान्य मानव की तरह व्यथित भी होते हैं। दक्ष यज्ञ में सती हुई पत्नी की मृत देह को कन्धे पर उठाए न जाने कहाँ-कहाँ भटके। जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे,वहाँ बाद में शक्तिपीठ बनाए गए।
हमारे देश में लाखों शिव मंदिर हैं और १२ ज्योतिर्लिंग हैं। सभी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। भक्तगण भक्तिभाव से बिल्वपत्र,बेर,धतूरा, चन्दन,पुष्प व दुग्ध से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। पूरे भारत में महाशिवरात्रि बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है क्योंकि आज के दिन शंकर जी का गौरी के साथ विवाह हुआ था।

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