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शुद्ध-सात्विक भोजन लें हम

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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जग में व्याप्त कुपोषण की,
स्थिति कर देती विचलित है।
आठ अरब जनसंख्या में से,
अस्सी कोटि प्रभावित हैं॥

तन में,मन में,बुद्धि-चित्त में,
पड़ी कुपोषण की छाया।
बुद्धि-भ्रमित,तन-कृश,मन-दूषित,
चित्त सभी का बौराया॥

चंद्र लोक से मंगल गृह तक,
नभ में मानव विचर रहा।
किन्तु धरा में कहीं-कहीं वह,
भूख,प्यास से बिफर रहा॥

हो अनाज की कमी धरा में,
है ऐसा परिदृश्य नहीं।
लेकिन पोषक तत्व सहित है,
वितरण सामंजस्य नहीं॥

साथ-साथ में वायु प्रदूषित,
अन्न अशुचि,जल मैला है।
धूमिल दृष्टि,और कर्कश ध्वनि,
वातावरण विषैला है॥

इस संकट के समाधान हित,
कई उपाय चल रहे हैं।
मटन,चिकन,बिरियानी,अंडे,
के उत्पाद फल रहे हैं॥

सच भी है यह,इन सबमें,
प्रोटीन,विटामिन रहते हैं।
इनसे हष्ट-पुष्ट तन बनता,
यह वैज्ञानिक कहते हैं॥

लेकिन कालांतर में इनका,
दुष्प्रभाव भी पड़ता है।
रोग पनपते हैं तन में,
मन में भारीपन बढ़ता है॥

बूचड़ खानों के प्रभाव से,
धरा झुलसती जाती है।
चीख-पुकारों से पशुओं की,
मानवता थर्राती है॥

वैसे भी जीवों की हत्या,
महापाप कहलाता है।
किंतु स्वार्थ के लिए कृत्य यह,
अति जघन्य बन जाता है॥

सिर्फ सुपोषण और स्वाद हित,
यह निर्दयता ठीक नहीं।
और दूसरे भी उपाय हैं,
यह निष्ठुरता ठीक नहीं॥

इसीलिए ऋषि-मुनियों ने,
नियमित आहार-विहार रचे।
तन,मन,बुद्धि,चित्त रक्षण हित,
संयम-श्रेष्ठ विचार रचे॥

जब तक थे हम निकट प्रकृति के,
तब तक नहीं कुपोषण था।
खान-पान,जीवन-यापन,
चिंतन में नहीं प्रदूषण था॥

पंच गव्य के साथ-साथ,
जो सात्विक भोजन करते थे।
सौ सालों तक जीवित रहकर,
मंजिल पूरी करते थे॥

ईश्वर ने प्राकृतिक व्यवस्था,
कुछ इस तरह बनाई है।
सारे जीवन तत्व मिलें,
ऐसी फसलें उपजाई है॥

शुद्ध-सात्विक भोजन लें हम,
मौसम के फल भी खाएं।
ऋतु-भुक,हित-भुक,मित-भुक,
के अनमोल सूत्र भी अपनाएं॥

तो फिर नहीं कुपोषण होगा,
ना ही रोग ग्रसित होंगे।
मन निर्मल,तन स्वस्थ रहेगा,
बुद्धि,चित्त पुलकित होंगे॥

आओ मित्रों सब मिल-जुल,
अब शाश्वत का आहवान करें।
नहीं रहेगा कहीं कुपोषण,
संकल्पित अभियान करें॥

वितरण को दुरुस्त करके,
जन-जन में जागृति लाएंगे।
सादा जीवन,उच्च विचारों,
का महत्व समझाएंगे॥

सभी स्वस्थ हों,सभी सुखी हों,
यही कामना है अपनी।
शांति समूचे विश्व में रहे,
यही भावना है अपनी॥

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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