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कोमल मन नारी

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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(रचना शिल्प:७ भगण (ऽ।।) + गुरु से यह छन्द बनता है,१०,१२ वर्णों पर यति होती है। इसमें वाचिक भार लेने की छूट नहीं है। मापनी- २११ २११ २११ २,११ २११ २११ २११ २)

कोमल है मन नारि सदादृढ़ता पर अद्भुत है इसकी।
संकट से घबराय नहीं,रहती यह नार प्रिया सबकी॥
शक्ति यही कहलाय सदा,यह मूरत है ममता हिय की।
आँचल पूर्ण भरा करुणा,कहलाय सदा प्रिय ये पिय की॥

स्नेह अगार अपार रही,इसको नम वंदन सृष्टि करे।
रूप अनेक दया करुणा,यह नारि सदैव सतीत्व धरे॥
वेद पुराण सभी कहते,इसकी महिमा गुणगान करें।
मान जहाँ इसका करते,सब देव निवास सुदेश वरें॥

रावण राम सभी इससे,अनुराग सभी समरूप दिया।
स्वार्थ नहीं मन में उसके,बदले उसके कुछ भी न लिया॥
ध्यान रखा इसने सबका,अधिकार कभी इसको न दिया।
जीवन पूर्ण समर्पित है,खुद को वह भूल गई सदया॥

शब्द नहीं वह पूर्ण जुबान,महान समान सदा रहती।
माँ भगिनी हर रूप निभा,सबमें वह तो सुख से बहती॥
त्याग हमेश करे मनुजा,वह जीवन में दु:ख को सहती।
आनन पे बहता रहता,मृदु हास्य विषाद नहीं कहती॥

वो रखती हरवक्त खुशी,कहती न कभी दु:ख को सबसे।
सृष्टि हुई शुरुआत यही,महिमा यह है उसकी तब से॥
मान सदा करती नर का,बदले कुछ मांग नहीं किस से।
नारि करे जब कोप तभी,सब कांप उठे जग ही उससे॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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