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श्मशान में भी दरिंदगी… कैसे कहाँ सुरक्षित

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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यह बात बिलकुल सही है कि सरकारें प्रत्येक नागरिक के लिए सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सकती। कारण इतना विशाल देश,जहाँ आबादी का विस्फोट हो,वहाँ क्या कर सकती है। कोरोना संक्रमण काल में सरकार बेबस लाचार रही। कारण बुनियादी व्यवस्था का इन्तज़ाम,क्योंकि रोग का संक्रमण अचानक आ गया,जबकि दुनिया के बहुत पहले सचेत कर दिया था,पर सरकारें मौत का आँकड़ा बताती हैं। जबकि जिसका मरता है,उसकी पूर्ति कोई नहीं सकता,पर सरकार झूठी व्यवस्था (अव्यवस्था)बताती है़। सरकारों को कोई बात सुनाई नहीं देती और न दिखती है़। .
अभी तक महिलाएं-युवतियां अपने-आपको असुरक्षित महसूस करती थी,पर दिल्ली में श्मशान घाट में घटी घटना ने इस बात को सोचने को मजबूर कर दिया कि अब ये घर या बाहर कहाँ सुरक्षित रह सकती हैं ? इसका कारण मात्र भय का शासन नहीं रहा। मात्र कागजों का शेर बनी है पुलिस और जनता पर पुलिस का प्रभाव न के बराबर है। जिस प्रकर सरकार,जनता को रोग से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता का प्रचार करती है, वैसे ही ही आजकल जनता में पुलिस कानून न्याय-व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं रहा। रोगी होने पर रोगी जिन्दा रहेगा या मरेगा या इससे चिकित्सक अप्रभावित रहता है,वैसे ही पुलिस अपराध के मामलों में निश्चिन्त रहती है। कारण उनके लिए यह सामान्य बात होती है।
होना यह चाहिए जिस प्रकार विद्यालय-अस्पताल मात्र खुलने से नहीं होता, जब तक उनका सञ्चालन सही न हो। उसी प्रकार पुलिस के अधिकारियों के साथ उनके अधीनस्थ कर्मचारी भी प्रभावी भूमिका निभाएं। अपराध घटने के बाद दबदबा इतना प्रभावशाली और शक्तिशाली होना चाहिए कि वे किसी से भी प्रभावित न हों और अपराधकर्ता को दण्डित करने का भरपूर प्रयास करना चाहिए।
लगता है देश से नैतिकता छूमंतर होती जा रही है। हम किस दिशा में जा रहे हैं या जाना चाहते हैं।
दिल्ली श्मशान घाट में घटी घटना अत्यंत लोमहर्षक,निंदनीय और चिंतनीय हैं। आज बच्चियां किस स्थान पर सुरक्षित हैं-न घर में न बाहर न सड़क पर न रेल में न बस में। इसका अर्थ अब बच्चि योनी का जन्म एक अभिशाप होता जा रहा है। यानी आज बलात्कार और हत्या बहुत मामूली बात है। ऐसी घटनाएं रोकना और रुकना असंभव होता जा रहा हैऔर समाज,शासन निःसहाय होता जा रहा है,जबकि नागरिक सुरक्षा सम्पूर्ण दायित्व सरकार का ही है,पर सरकारें निष्प्रभावी हैं या हो गई है,इस पर पुनर्विचार किया जाना उचित होगा।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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