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श्री कृष्ण स्तुति

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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कृष्ण जन्माष्टमी….

जगती के प्राणाधार हो तुम,
नंद-लाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो॥

हे चित्रकार! हो चित्र रूप,
जब-जब,धरती पर आते हो।
तब-तब मुरली की तान सुना,
गीता का ज्ञान सिखाते हो॥
तू ही जग है,जगदीश तू ही,
जग में तेरी ही माया है।
तेरी माया की काया में,
यह सारा जगत समाया है॥
इस पार तुम्हीं,उस पार तुम्हीं,
वन-माल़ तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

तुम सृष्टि रचाने वाले हो,
तुम प्रलय मचाने वाले हो।
तुम आदि,अनादि,अनन्त,मध्य,
त्रेलोक बसाने वाले हो॥
घट-घट वासी,अन्तर्यामी,
हो अखिल विश्व के स्वामी तुम।
हो परमेश्वर विधि,हरि,हर,हो,
हो काम रूप निष्कामी तुम॥
उजड़े घर के श्रृंगार हो तुम,
जन-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय_जय हो…॥

हो अन्यायी के लिए काल,
न्यायी के देवदूत हो तुम।
तुम स्वर्ग-नरक,सुख-दुःख,दाता,
योगेन्द्र नाथ अवधूत हो तुम॥
नीलांबुज,श्यामल,कोमलांग,
वृंदावन-विपिन-बिहारी हो।
पूतना,कंस शिशुपाल हनी,
प्रभु,गोवर्धन गिरिधारी हो॥
हे जगन्नियंता,जग नायक,
जग-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

यह सृष्टि सुसज्जित हाथों से,
जब दिव्य-भाव,सरसाती है।
नट नागर,सागर की लहरें,
तेरा गुणगान सुनाती है॥
जब गगन कुसुम,उड़-उड़ करके,
तेरे चरणों में झरते हैं।
तब गली,घाट,वन,उपवन में,
रह-रह कर मस्ती करते हैं॥
हे जन रंजन,हे भय भंजन,
यदु-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय_जय हो…॥

शिव,विष्णु तुम्हीं,रवि,चन्द्र तुम्हीं,
हो सामवेद रस,छंद तुम्हीं।
हो गायत्री का मंत्र तुम्हीं,
हो पावक,मारूत,ॐ तुम्हीं॥
हो शुद्ध-बुद्धि,सद-वृत्ति तुम्हीं,
हो सब तत्वों के मूल तुम्हीं।
पीपल का पावन वृक्ष तुम्हीं,
सदज्ञान,विभूति,सुकीर्ति तुम्हीं॥
हो इन्द्र तुम्हीं,जान्हवी तुम्हीं,
सुर-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

हे अलख,अजन्मा,अग,अविरज,
तुम अविगत,अविचल,अकल,अजर।
हे अगुण,अमोल,अतोल,अजय,
हे अक्षर,अविदित,अनघ,अमर॥
हे अयुत,अनंत,अमानुष,अज़,
तुम अच्युत,अद्भुत,अकथ,अटल।
हे अखिल,अनादि,अमान,अभय,
हे अविनश्वर,अक्षुण्ण,अमल॥
हे शान्ति,शील,सुषमा,के घर,
नर-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

तुम क्रांति,शान्ति,सुख-संचारक,
पालक,पोषक,संहारक हो।
तुम उग्र-उपद्रव,उद्धारक,
उत्प्रेरक,उर-उप कारक हो॥
तुम ब्रम्ह,वेद,विद,विज्ञेश्वर,
विश्रुत,व्यापक,विश्वंभर हो।
तुम नीति-नरोत्तम,नर-नायक,
विभु,विभुवर,विनिदायक वर हो॥
हे निराकार,हे नराकार,
बृज-बाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

जंगल में,शिखर हिमालय में ,
नभ-मंडल,बादल,जल-तल में।
है चमक दिखती तेरी ही,
इस चंचल थल में पल-पल में॥
हे महा हृदय,हे अटल सत्य,
हे जगदाधार प्रणाम तुम्हें।
हे करुणाकर,हे मनमोहन,
हे पालनहार प्रणाम तुम्हें॥
हे मित्र सुदामा के हितकर,
महि-पाल तुम्हारी जय-जय हो।
भव सागर की पतवार हो तुम,
गोपाल तुम्हारी जय-जय हो…॥

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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