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सँजीवनी

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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आओ साथी गीत रचें…
आओ साथी गीत रचें…।

गीत काव्य निर्मल धारा, छँद बंद की मीन भरे,
पीड़ित रुग्ण हिया औषधि, सँजीवनी बन शमन करे।
आओ साथी गीत रचें…॥

स्वर गंगा की लहरें हों, प्रोत्साहन की पवन चले,
बैठ काव्य की नैया में, भव्य भाव के गगन तले।
आओ साथी गीत रचें… ॥

शब्द पुष्प के उपवन में, अक्षर बुलबुल चमन फिरे,
नव-नव सर्जन परिवर्तन, भाव भावना नमन करें।
आओ साथी गीत रचें…॥

जादू-सी स्वप्निल दुनिया, पँखों वाले कलम रखें,
ललक लोभ पढ़ने पुस्तक, आवरण पर भ्रमन करें।
आओ साथी गीत रचें…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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