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संगीत की सरगम अविस्मरणीय लता

तृप्ति तोमर `तृष्णा`
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…

मधु से भी मधुरतम स्वर इनका,
सुर साधना ही रहा जीवन मंत्र जिनका।

संगीत की सरगम को बनाया जिसने जीवन कथा,
अंततः संगीत के साथ ही पूरी हो गई जीवन गाथा।

सौम्यता,सादगी से ओत-प्रोत है व्यक्तित्व लता जी,
जिनकी सुरीली मीठी आवाज़ ने विश्व में फहराई पताका।

वीणा वादिनी की अद्भुत साक्षात प्रति मूर्ति,
अब कभी पूरी नहीं हो पाएगी क्षतिपूर्ति।

अब इस वसंत ऋतु में ईश्वर लोक में बहेगी प्रेम लता,
क्योंकि,आज पंचतत्व में विलीन हो गई प्रेम की लता।

चंद्रमा की चाँदनी-सी चमक होगी बैकुंठ धाम में,
धरा से विदा होकर पुनः सरस्वती चली नील गगन में।

लता जी ने अपनी संगीत की थीं खोली अंजलि,
सरस्वती पुत्री को मेरे अनन्त हृदय से अश्रुपूरित श्रंद्धाजलि॥

परिचय-तृप्ति तोमर पेशेवर लेखिका नहीं है,पर प्रतियोगी छात्रा के रुप में जीवन के रिश्तों कॊ अच्छा समझती हैं।यही भावना इनकी रचनाओं में समझी जा सकती है। आपका  साहित्यिक उपनाम-तृष्णा है। जन्मतिथि २० जून १९८६ एवं जन्म स्थान-विदिशा(म.प्र.) है। वर्तमान में भोपाल के जनता नगर-करोंद में निवास है। प्रदेश के भोपाल से ताल्लुक रखने वाली तृप्ति की लेखन उम्र तो छोटी ही है,पर लिखने के शौक ने बस इन्हें जमा दिया है। एम.ए. और  पीजीडीसीए शिक्षित होकर फिलहाल डी.एलएड. जारी है। आप अधिकतर गीत लिखती हैं। एक साझा काव्य संग्रह में रचना प्रकाशन और सम्मान हुआ है। 

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