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संग्रह में आदि से अंत तक लोक कल्याण-भाव की प्रधानता-डॉ. कुमार

पुस्तक समीक्षा व गोष्ठी…..

पंचकूला(हरियाणा)।


इस संग्रह में आदि से अंत तक लोक कल्याण-भाव की प्रधानता है। इनका जनजागरण के माध्यम से राष्ट्र हित की साधना का फलक अत्यंत विराट है। राष्ट्रहित के अपने लक्ष्य के संज्ञान के लिए लेखिका संस्कृत मूल्यों एवं उनके प्रतीकों की सजग प्रहरी बन जाती है।
यह बात अखिल भारतीय साहित्य परिषद (पंचकूला) की ओर से आज़ादी का अमृत महोत्सव एवं पराक्रम दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित काव्य संध्या में मुख्य वक्ता व परिषद के संगठन मंत्री डॉ. मनोज कुमार ने कवियित्री संतोष गर्ग की पुस्तक ‘शब्दों को विश्राम कहाँ’ की समीक्षा करते हुए कही।
आयोजन के प्रथम चरण में शुभारंभ चंडीगढ के प्रसिद्ध गायक सोमेश जी की सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि की भूमिका में सिरसा के प्रसिद्ध लघु कथाकार प्रो.रूप देवगुण,विशिष्ट अतिथियों में चंडीगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कैलाश चंद आहलूवालिया व वरिष्ठ कवि प्रेम विज ने भी पुस्तक पर विचार व्यक्त किए।
हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष डॉ. सारस्वत मोहन मनीषी ने अध्यक्षता निभाते हुए कवियित्री के लिए कहा कि,संघर्षों की भट्टी में तप जाना छोटी बात नहीं है,त्याग तपस्या से मानव माथे का चंदन बन जाता है।
दूसरे चरण में काव्य संध्या कार्यक्रम हुआ। इसका संचालन महासचिव अनिल चिंतित ने किया। वरिष्ठ कवियों में बालकृष्ण गुप्ता,डॉ .अलका रागिनी, डॉ.उमेश प्रताप वत्स,डॉ. अशोक मंगलेश,पूनम छोकर एवं युगांक भारद्वाज आदि ने भाग लिया।

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