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स्वतंत्रता का भाष था

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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‘नेताजी’ अवतरण दिवस विशेष…

मुक्त और स्वछंद था,
स्वतंत्रता का भाष था
दासता स्वीकार न की,
वह वीर सुभाष था।

ली अपनी आजादी,
मन में नहीं काश! था
आजाद हिंद फौज से,
देश को यही आश था।

परिपूर्ण तेज,ओज से,
वीरता उसमें वास था
स्वाधीन रवि उदित,
वह वीर एक प्रकाश था।

अंग्रेजों के गले की,
सुभाषचंद्र फांस था
स्वतंत्रता मशाल थामे,
भारत की प्राण साँस था।

जनता हृदय सम्राट,
सुभाष नहीं दास था
अमर है अमर रहेगा,
सदा पास है पास था।

सुलग रहा मन देश का,
नेतृत्व बिन हताश था
भारत भाग्य से मिला,
नेता,जिसकी तलाश थी।

कर्णधार थे देश के वे,
अंग्रेजों को आभास था
स्वतंत्रता पश्चात के नेता,
जनता को विश्वास था॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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