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सच का पथ आसान नहीं

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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अहं,दंभ,असत्य,बल तत्पर रहते,करने को घात
परन्तु सत्य को नहीं कर सकते हैं,कभी भी परास्त,
सत्य विजय के लिए संघर्ष का,अगर भान नहीं है-
हे मनुष्य ! तेरे लिए,सच का पथ आसान नहीं है।

जो सत्य है,वह शिव है,वही सत्य-शिव सुंदर है
सत्य की प्रेरणा,उद्गम,मानव तेरे ही तो अंदर है,
असत्य का आवरण पहने,उस की पहचान नहीं है-
फंस जाएगा जाल में,बंधन मुक्ति आसान नहीं है।

सच का पथ दुर्गम है,आसान नहीं,बहुत बाधाएं
विजय वरण करने को खड़ी है, फैलाए दोनों बाँहें,
सत्य से अगर डिग जाए,यह आन-शान नहीं है-
हैं कठिन सच की राहें,झूठ का तो मान नहीं हैं।

सभी धर्मों ने शिक्षा दी है,जीवन है तो,है सांच
नश्वर,क्षणिक सब भया,इस पर ना आए आंच।
सत्य त्याग कर,प्राणी विश्व का कल्याण नहीं है,
यह ईश्वर साधना,पर सच का पथ आसान नहीं है॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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