संजय गुप्ता ‘देवेश’
उदयपुर(राजस्थान)
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रचना शिल्प:सरसी/कबीर छंद पर आधारित/ प्रथम चरण चौपाई और दूसरा चरण दोहा, १६+११=२७ मात्र भार
नारी का अपमान करे जो,करे उन्हें बदनाम,
मनुज नहीं राक्षस सम है वह,गंदे करता काम
मानवता पर है कलंक वह,करे घृणित व्यवहार,
उसको सबक सिखाना होगा,करे कानून काम।
संस्कारों में कमी रही है,अथवा गंदा संग,
मात-पिता के सपने तोड़े,करते दूषित नाम।
नारी पूज्या रही हमारी,जग की है वह शक्ति,
जग की जननी है वह देवी,साथ सिया के राम।
नारी की अस्मिता उजाड़ें,करते अत्याचार,
ऐसे अधर्मी पिशाचों का,जीना करें हराम।
कठोर सबक सिखाना होगा,दिखे स्पष्ट संदेश,
दोषी बचकर क्हां जाएंगे,अब लगेगी लगाम।
नारी उत्थान से चले जग,यह समझा ‘देवेश’,
जब तक यह सुनिश्चित नहीं हो,नहीं करें आराम॥
परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।