प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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सब ‘धरा’ रह जाएगा (पर्यावरण दिवस विशेष)…
प्रदूषण एक वैश्विक चुनौती है, जो हमारे ग्रह और इसके निवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती है। यह वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण सहित विभिन्न रूपों में प्रकट होता है। प्रदूषण के परिणाम दूरगामी हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता और मानव कल्याण को प्रभावित कर रहे हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप है, जो विज्ञान की कोख में से जन्मा है और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर है।
प्रदूषण का अर्थ है-प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भू-प्रदूषण आदि के कारण पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित होता है। इतना ही नहीं, व्यक्ति की सेहत पर भी इसके गंभीर नुकसान होते हैं। पर्यावरण प्रदूषक कई तरह के रोगों-श्वसन रोग, हृदय रोग, कुछ प्रकार के कैंसर आदि के होने के जोखिम को बढ़ा सकता है।
प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा हो रहा है। पेड़ कट रहे हैं, जल प्रदूषित हो रहा है। मिट्टी का कटाव भी हो रहा है। आधुनिकीकरण व औद्योगिकीकरण ने सारा संतुलन मिटा दिया है। बिजली उपकरणों व डीजल -पेट्रोल की अंधाधुंध खपत ने प्रकृति की बनावट ही नष्ट करके रख दी है।
यदि प्रदूषण ऐसे ही बढ़ता रहा तो सब कुछ तबाह हो जाएगा, और सब कुछ धरा का धरा रह जाएगा। सारी प्रकृति और हम विनाश के चरम पर पहुंचकर नेस्तनाबूद हो जाएंगे।
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।