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सब लूटो,विश्वास नहीं

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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मन की बात बताना चाहूँ,बोलूँ ना ही सुनी-कही,
आप-बीती मैं रचूँ कहानी,सब लूटो-विश्वास नहीं।
एक बार विश्वास जो टूटा,माने ना किसी की कही,
मत बहको स्वार्थ में प्यारे,चलो राह जो हो सही।
सच का साथी बनो जगत में,झूठ ना बोलो बात कहीं,
लूटो ज्ञान विवेक ओ प्यारे,भरोसे का भंडार नहीं।
आँख मूंद जो करे भरोसा,तोड़ना अच्छी बात नहीं,
भोलेपन का लाभ उठाना,ये भी अच्छी बात नहीं॥

जीवन नैया विश्वास पर चलती,लोभी दुनिया हाथ है मलती,
एक गलती अगर माफ हुई तो,करो ना तुम गलती पर गलती।
जिसने तुम पर किया भरोसा,तुमने उसको झूठ परोसा,
कहे ‘उमेश’ तुम गाँठ बाँध लो,निश्छल प्रेम ना मिले हमेशा।
लाखों रुपया जो तुम पर लुटाया,तुम सोचों,क्या उसे लौटाया…,
धन दिया तो भैया-भाया,नहीं दिया तो हुआ पराया।
कहे उमेश अहंकार ना करना,मित्रता दुष्टों से खास नहीं,
आप-बीती मैंने है सुनाई,सब लूटो-विश्वास नहीं॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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