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समाज से जुड़े तथ्यों को दर्शाती है ‘बाहर कुछ भीतर कुछ’-डॉ. दवे

लोकार्पण…

इंदौर (मप्र)।

पुस्तक में हर विधा है। निबंध, ललित निबंध, लेख, शायरी, व्यंग्य सब विधाओं के सामंजस्य से बनी यह पुस्तक समाज से जुड़े तथ्यों को दर्शाती है।
यह बात श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी लिखित पुस्तक ‘बाहर कुछ भीतर कुछ’ का लोकार्पण करते हुए साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कही।
माल्यार्पण कर इस लोकार्पण कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. दवे, डॉ. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, सत्यनारायण सत्तन, अशोक गुप्ता एवं प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने किया।
इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उपाध्याय ने बताया कि, ‘बाहर कुछ भीतर कुछ’ पुस्तक में इंद्रधनुष के सारे रंग विद्यमान हैं। इसमें कोई एक रंग नहीं है। चतुर्वेदी जी का व्यक्तित्व उर्दू शायरी में एक से दूसरे मिजाज का होता है। आपने घटती विश्वसनीयता और संवेदनहीनता के बारे में बताया।
राष्ट्रीय कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि चतुर्वेदी जी की पुस्तक सूर्य की किरणों समान है, जो सब पर समान रुप से पड़ती है और प्रकाशित करती है। पुस्तक के बारे में उन्होंने मन को चोर बताया है और आत्मा की बात होना चाहिए।
प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि मुझे जो कहना था वह मेरी पुस्तक ने कह दिया। शायरी के माध्यम से समाज का आईना दिखाया है। अतिथियों का स्वागत समिति के प्रचार मंत्री अरविन्द ओझा, राजेश शर्मा, डॉ. मीनाक्षी स्वामी ने किया। स्मृति चिन्ह पुष्पेंद्र दुबे व घटा चतुर्वेदी ने भेंट किए। इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री ज्ञानी, डॉ. जी.डी. ओझा, जवाहर चौधरी, मोहन रावल, प्रदीप नवीन सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संचालन संजय पटेल ने किया। पुनीत चतुर्वेदी ने आभार माना।

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