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सारे जग से सर्वोत्तम

जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

मैं भारतीय हूँ इसका,मुझको बेहद गर्व है,
रात-दिन यहां रंगीले,हर दिन होता पर्व है।

चार धाम अड़सठ तीरथ,पावन गंगा नीर है,
नगेन्द्र सर्वोच्च हिमालय,खास स्वर्ग कश्मीर है।

संस्कृति बहुत ही बढ़िया,सभ्य सद्व्यवहार है,
सारे जग से सर्वोत्तम,अच्छे से संस्कार है।

देश हित में प्राण देते,हो जाते कुर्बान हैं,
ये वीर प्रसूता माता,मेरा देश महान है।

पावन सोच-विचार रखे,नारी कुल मर्याद है,
पतिव्रता धर्म निभाती,पावन प्रीत अगाध है।

जीवन अनुशासित जीते,रिश्ते यहां अटूट है,
सत्य को तवज्जो देते,चलता नहीं न झूठ है।

जाति-धर्म अनेक फिर भी,रहते होकर एक हैं,
देशप्रेम बसा दिलों में,ना फर्क मीन-मेख है।

यहां बड़ों की कद्र करते,छोटों से तो प्यार है,
सत्संगत की रंगत वो,आध्यात्मिक का सार है।

यहां अतिथि देव समान,गुरु ईश्वर का रूप है,
माँ-बाप की सेवा ही,श्रद्धा सच्च अनूप है।

महत्व वेद-पुराणों का,गीता का उपदेश है,
भक्ति से ही मुक्ति मिलती,कथा में समावेश है॥

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