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साहित्य के महान पोषक थे डॉ. जगदीश पाण्डेय-डॉ. सुलभ

लघुकथा गोष्ठी…

पटना (बिहार)।

डॉ. जगदीश पाण्डेय पेशे से अभियन्ता, किन्तु हृदय से लोक-मंगल की भावना रखने वाले कवि थे। राज्य सरकार में अपनी सेवा के शीर्ष पद से अवकाश लेने के पश्चात उन्होंने शेष जीवन लोक-कल्याणकारी कार्यों में लगाया। कला, संगीत और साहित्य समेत सभी सारस्वत विधाओं में उनकी गहरी अभिरुचि थी। वे साहित्य और साहित्यकारों के अत्यंत मूल्यवान पोषक थे। उन्होंने अपनी संपदा का पूरी निष्ठा से सारस्वत सेवाओं के लिए उपयोग किया। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के संकट के दिनों में वे एक सुदृढ़ ढाल बन कर प्रकट हुए।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सभागार में डॉ. पाण्डेय की जयंती पर समारोह और लघुकथा गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने यह बात कही। आपने कहा कि सम्मेलन को बचाकर और साहित्यकारों को पोषण देकर उन्होंने हिन्दी भाषा और सम्मेलन का बड़ा उपकार किया। सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य ने कहा कि लघुकथा लेखन में बिहार का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, आचार्य जानकी वल्लभशास्त्री, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ आदि महान साहित्यिक विभूतियों ने ‘लघुकथा’ को बल प्रदान किया। आधुनिक काल में डॉ. सतीश राज पुष्करणा ने इसे ऊँचाई प्रदान की और लोकप्रिय बनाया।
अतिथियों का स्वागत सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ. शंकर प्रसाद ने किया। उपाध्यक्ष डॉ. मधु वर्मा, डॉ. मनोज गोवर्द्धनपुरी, सुशील साहिल, सोनी सुगंधा और चंदा मिश्र ने भी विचार व्यक्त किए।