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सृजन का नशा निराला

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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सृजन नव सृजन कहलाता है,
इसका नशा निराला है
प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का,
शीर्ष पर पहुंचने का
यह सृजन सुन्दर सुसंस्कृत,
सदैव लगता मतवाला है।

सृजन बढ़ाता है प्यार,
इस प्यार से होती है दुनिया गुलजार
दुनिया में सृजन के इस रंग से,
अद्भुत ध्वनि से होता है नव संचार।

नए विचार व उपाय का जन्म देती है,
मुश्किल वक्त में तन्हां ज़िन्दगी में
खुशियाँ उड़ेल बिखेरने में,
हृदय तल से खूब मजबूत बनाने में व
कामयाबी हासिल करने में,
सदैव आगे ही आती हैं।

सृजन का फल मौलिकता और सम्यकता,
सदैव तत्पर रूप में रहते हुए प्रदान करता है
निर्माण में सहायक होता है परन्तु,
मौलिकता से दूर रहता है
सृजन में अनुभूति विवेक और कल्पना की,
भूमिका अलग-अलग होती है।

हर मोर्चे में सृजन का महत्व,
मनुष्य को जीवनभर राह दिखलाता है
सृजन व्यक्ति और समाज को,
सांसारिक जीवन का पाठ पढ़ाता है।
युग चेतना से अवगत कराता है।

कलात्मक सृजन भी एक हुनर है,
इसका सौंदर्य सदैव रहता प्रखर है
सृजन आलोचना करने का एक,
महत्वपूर्ण अस्त्र है
जीवन में खुशहाली के लिए,
यह एक ब्रहास्त्र है।

सृजन का नशा ,
उभरती कलम के लिए अद्भुत व प्रकाशित प्रदीप है
हर साहित्यिक विधा के कर्मवीर के लिए,
सृजन का पराक्रम दिखता लगता संदीप है।
आओ हम-सब मिलकर एक उन्नत योजना बनाएं,
सृजन की नवोन्मेष लहरों में डूब जाएं॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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