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हँसाते-हँसाते कारवां गुज़र गया

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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हास्य सम्राट राजू श्रीवास्तव:श्रद्धांजलि….

हसीन पल के बादशाह को सलाम,
जिंदादिली के परचम को सलाम।

आसमां आज उदास है,
नहीं बचा एहसास है।

सब-कुछ खत्म हो गया,
यादों का खुशनुमा रंग उड़ गया।

हँसी होंठों पे रख जिसने आवाज़ दी,
हर जगह खुशियां आबाद हुईं।

उदास मन की एक दवा थे,
सबके साथ बस एक जिन्दा एक नाम थे।

कहां ‘गजोधर भाई’ गुम हो गए,
सारी कायनात शून्य हो गई।

अंदाज बड़ा खूबसूरत था आपका,
खुशियाँ बांटने की सीरत लाजवाब थी।

बेहिचक तरीका था खूब सुन्दर,
सब खुश हो जाते थे यह सुनकर।

आज दिन और रात उदास है,
आसमां में उड़ान नहीं, बस दुःख का प्रवास है।

पेड़-पौधे तो क्या, हम यहां,
जुगनू और तितलियाँ भी खामोश है।

नभ में आज़ आगाज़ नहीं है यहां,
सब खामोश रहकर देख रहे जनाजे को यहां।

कौन कहता है कि खुशनुमा जिन्दगी वाले की,
उम्र लम्बी दूरी बनाते सफ़र तय करते हैं।

आज ठसक कहां गुम हो गई,
सब लोग बस यही कहते हैं।

खुशियाँ बिखेरने में मशगूल रहे जिन्दगी भर यहां,
रब ने बना दिया अपने घर को खूबसूरत जहां।

रब से बस एक गुजारिश है,
हँसी होंठों पे रहें आसमां में भी, यही फरमाइश है।

हँसाते-हँसाते एक कारवां गुज़र गया,
हँसी होंठों पे, हम बहुत कमजोर हैं।

जिन्दगी की सारी खुशियाँ गुम हुई, जो थी हँसी की सियासत,
रब से मांगता हूँ बस, बनी रहे हँसी की रिवायत॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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