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मौन श्रद्धांजलि

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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तर्पण- समर्पण (श्राद्ध पक्ष विशेष)…

अपने नरम हाथों से,
वो मुझको सहलाती थी
अपने पल्लू के आँचल में,
हर पल मुझे बिठाती थी।

आज उस माँ का श्राद्ध है,
दिल से हमें मनाना है
अर्पण-तर्पण से उस माँ को,
श्रृद्धा-सुमन चढ़ाना है।

नैनों में अश्कों का सागर,
फिर से उमड़ आया है
मौन श्रद्धांजलि दे रहा हूँ,
हृदय में मातम-सा छाया है।

खीर-पूरी का भोग लगा कर,
पुष्प अर्पण कर रहा हूँ
श्राद्ध पक्ष पर उस माँ को,
कौवों के बीच ढूंढ रहा हूँ।

माँ तो माँ है ना होकर भी,
आशीष हमें देती होगी
उड़ते बादलों से वो मेरी,
कुशल-क्षेम पूछतीं होगी।

ओ माँ, तू ममता का सागर,
कैसे तुझे भुला पाऊंगा।
जब-जब याद आएगी तू,
मैं सम्भल नहीं पाऊंगा॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।

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