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हिंदी से मेरा प्यार

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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हिंदी और हमारी जिंदगी….

बचपन में जब कक्षा पांचवी की एक किताब का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद किया था, क्योंकि वह किताब हिंदी में उपलब्ध नहीं थी, तो ना सिर्फ मेरे माता-पिता, वरन मेरी चाची जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्नातक एवं लाइब्रेरी साइंस में स्नातक थी और हर बात पर शेरो-शायरी के अंदाज में बात किया करती थी, वह भी मेरी इस प्रतिभा को देख आश्चर्यचकित हो गई। बाद में मैंने उनसे शेरो-शायरी भी सीखी। फिर मैंने मातृभाषा बांग्ला अपनी दादी जी और माँ से सीखी, व लिखना-पढ़ना आरंभ किया।
आरंभ से ही अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला, पर हिंदी के प्रति मेरा रुझान और रुचि शुरू से ही थी, क्योंकि मध्य प्रदेश (भारत) में जन्मी और हिंदी प्रांत में रहने के कारण हिंदी सीखने-पढ़ने की प्रबल इच्छा हमेशा मेरे मन में रही।
हिंदी ना केवल हमारे रोजमर्रा की बोलचाल की भाषा है, अपितु यह हमारी राष्ट्रीय भाषा है और हमारे देश का गौरव है। हिंदी साहित्य एक कथा सागर है, जिसको कुछ हद तक पढ़ने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ और हिंदी मेरे जीवन में रच-बस गई I उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मैंने अंग्रेजी में में एम.ए. और पीएच- .डी. की। अनुसंधान के समय से ही मैंने अंग्रेजी में शोध-पत्र लिखना आरंभ कर दिया था और बाद में यह सफर कविता और लघु कथा की ओर मुड़ गया। अंग्रेजी में करीब ४६ कविताएं और ५ लघुकथा लिखते-लिखते न जाने क्यों रुख हिंदी लेखन की ओर बढ़ गया। हिंदी से मुझे प्यार हो गया और अब तक करीब हिन्दी की २० कविताएं प्रकाशित हो चुकी है।
हिन्दी निश्चय ही माँ समान वंदनीय है और अंग्रेजी से भी इसका कोई विरोध नहीं है। अंग्रेजी शब्द कोष ने भी कई हिंदी शब्दों को अपना लिया है। हिन्दी सभी को अपनेपन से लुभाती है और जोड़ने का काम करती है। यूँ तो देश में कई भाषाएं और हैं, पर राष्ट्र के माथे की बिंदी तो ये हिन्दी ही है।
मुझे अत्यंत हर्ष होता है यह कहने में कि, जब पाठक मेरी कविताओं को पढ़कर सराहना करते हैं। गर्व से कहते हैं कि अंग्रेजी की प्राध्यापक को हिंदी भाषा और साहित्य में भी अच्छा अधिकार है, रुचि है।
तो आइए हम सब मिलकर हिंदी, जो हमारी खुद की भाषा है उसे और आगे बढ़ाएं। जन-जन में इसकी महत्ता को समझाएं।

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।

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