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हिंद का गौरव तिरंगा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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अपना सम्मान तिरंगा….

मैं गाथा कहती हूँ आजादी के परवानों की,
मैं बातें करती हूँ हमारे तिरंगे के सम्मानों की।

चन्द्रगुप्त,राणा,शिवा,वीरों का जननी क्षेत्र,
सन् अठारह सौ सत्तावन में हुई ऐसी क्रान्ति
शंखनाद कर उठा मंगल पांडे आजादी का,
बिगुल बज उठा स्वतंत्रता की लड़ाई का
जन-जन में फूट पड़ा गुलामी का आक्रोश,
अंग्रेज सिमटने लगे अपने ही आगोश।

इधर बढ़े ग्वालियर से तात्या टोपे थे
मौलवी अहमद उल्ला अजीमुल्ला खान,
नाना साहब ने छेड़ी कानपूर से क्रांति
लखनऊ से बेगम हजरत महल का वार,
वीर कुंवरसिंह,टीपू सुल्तान रणबांके जवान
मानो गांडीव आ पड़ा अर्जुन के हाथ।

था उनमें दृढ़ जोश वीरता और विश्वास
नेताजी सुभाषचंद्र की क्या करूँ मैं बात,
छेड़ी उन्होंने जंग, रहकर दूर देश बर्मा, जापान
वीर भगतसिंह खुदीराम,बिस्मिल आजाद,
संग उनके था जयसिंह औ जयहिंद इंकलाब
चढ़ गए सूली पर हॅंसते-गाते वीर शहीद।

बलिदानों के देखे इस मातृभूमि ने रुप अनेक,
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सत्याग्रह संदेश
साथ राजेन्द्र,जवाहरलाल,बल्लभ भाई पटेल,
दे गए भारत माता को स्वतन्त्रता का परिवेश
था उनमें जोश वीरता संकल्प औ विश्वास,
गुमनाम बने अनेक आजादी के थे परवाने।

पवित्र गंगा,यमुना,सरस्वती अनेक नदियाँ
सागर पैर पखारे ऐसा अद्भुत हिंद हमारा देश,
केसरिया हरा सफेद चक्र लिए तिरंगा देखो
लहराए लाल किले पर लिए हुए अभिमान,
कारगिल, पुलवामा पर भिडे़ भारत के लाल
जल-थल वायु में करते हैं अनेक कमाल।

आजादी के परवानों का आइए करें सम्मान,
हिंद धरा हमारी, राष्ट्रधर्म का कर्म निभाना है
शहीदों की इस धरा की मर्यादा और बढ़ाना है,
है दृढ़ संकल्प हमारा अटल हिन्द का सौरभ
अपना सम्मान है तिरंगा घर-घर लहराए,
अमृत कलश हिंद का गौरव विश्व में फैलाएं।

दिए इस माटी ने बिरसा मुंडा, अब्दुल हमीद,
सिर पर लिए हुए हिंद हिमालय जैसा दुर्गा बनी
इक ओर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई थी,
सपूत क्रांतिवीरों ने रची नई कहानी थी।
मैं गाथा कहती हूँ आजादी के परवानों की,
मैं बातें करती हूँ हमारे तिरंगे के सम्मानों की

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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