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हे भाग्य बनाने वाले…

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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यदि आप नहीं होते, तो…(शिक्षक दिवस विशेष)….

मन मन्दिर की वेदी में, आसन लगाया है श्री गुरु आपका,
भावों का दीप जलाया है राहों में, हे पूज्य गुरुदेव आपका।

आसन में विराजिए श्री गुरु, पिता शिव के स्वरुप धारी,
यदि आप नहीं होते तो, सदा दुखी जिंदगी कटती हमारी।

सादर नमन आपको, कोटि-कोटि नमन हे पुज्य गुरु,
आपके सौजन्य से ही, भूत, वर्तमान मेरा हुआ शुरू।

हे श्री गुरु यदि आप नहीं होते तो, मैं मूढ़ ही बना रहता,
धर्म पथों को छोड़कर, मैं पाप की डगर चलता रहता।

यदि आप नहीं होते तो, मैं दया, धर्म, सेवा नहीं जानती,
शिक्षक के रुप में हे शिव गुरु, करती हूँ आपकी आरती।

हे हमारे भाग्य बनाने वाले, परम पूजनीय श्री गुरुदेव,
आप पिता स्वरुप,देव तुल्य, जैसे हैं पिता श्री महादेव।

यदि आप नहीं होते तो, ज्ञान हीन सदा बन के रह जाता,
ना मैं मन्दिर, मस्जिद, देव देवालय का दर्शन कर पाता।

पुज्य गुरुदेव आपका दिया महा दान, ज्ञान रुपी दृष्टि है,
ज्ञान पा के मैं समझ सका हूँ, गुरु ज्ञान से भरी सृष्टि है।

ज्ञान दर्पण दिखाने वाले गुरुदेव, मैं वन्दना करती हूँ,
मन-मन्दिर में आप निवास करिए, निवेदन करती हूँ॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |

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