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रहे आपकी कृपा सदा

वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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यदि आप नहीं होते तो…(शिक्षक दिवस विशेष)….

गुरुवर यदि आप नहीं होते,
किस्मत नहीं बदलती जीवन की
ज्ञान-विज्ञान की वर्षा बिना,
तस्वीर नहीं बदलती तन-मन की।

आपके सहज सानिध्य में,
छूट गए सारे झूठे व्यसन
आत्म-शोधन और सुविचारों से,
पुलकित हुआ मेरा तन-मन।

सम,सहज,सामान्य,बोधगम्य,
ज्ञान है आपका हितकारी
मानवीय मूल्यों की शिक्षा से,
बनता हर शिष्य संस्कारी।

जगत की प्रीत है कच्ची,
सच्ची है गुरुदेव की महिमा
चरणों में गुरु के अनुराग है,
तेज और ज्ञान की महिमा।

गुरु ज्ञान से अंधकार हो दूर,
मन में प्रकाश-पुंज चमके
प्रखर तेजोमय व्यक्तित्व बने
और मन-मंदिर भी दमके।

आपके वचन जब पड़े कानों में,
व्यक्तित्व कुंदन हो जाए
संवाद की निर्मल धारा में बह,
नित नया सृजन कर पाएं।

गुरुदेव आपसे विनती है मेरी,
और स्नेह अभिव्यक्ति है मेरी।
रहे आपकी कृपा सदा मुझ पर,
और आप पर रहे आसक्ति मेरी॥

परिचय-वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’

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