हरिशंकर पाटीदार ‘रंगीला’
देवास(मध्यप्रदेश)
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बसन्त बहार आयी
रंगों की फुहार छायी
होली का त्यौहार आज
मिल के मनाएंगे।
मन में उमंग भर
हर हाथ रंग धर
अपनों के संग-संग
खुद भी रंगाएंगे।
जाति-पांति छोड़कर
भेद-भाव तोड़कर
सबको गले से लगा
प्रेम को बढ़ाएंगे।
आधुनिक रंग छोड़
प्राकृतिक फूल तोड़
केसरिया रंग डाल
शरीर बचाएंगे।
परिचय–हरिशंकर पाटीदार का बसेरा वर्तमान में मध्यप्रदेश के ग्राम-लिम्बोदा (जिला-देवास)में है। ‘रंगीला’ नाम से लेखन में सक्रिय श्री पाटीदार १९६९ में ६ जुलाई को लिम्बोदा में जन्में हैं। यही आपका स्थाई निवास है। भाषा ज्ञान-हिंदी का है। इनकी शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. होकर पेशे से अध्यापन कार्यक्षेत्र(शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए गरीबों की हरसंभव मदद करते हैं। हर वर्ष बाल दिवस पर कम्बल वितरण में सहभागिता होती है तो ‘सार्थक समूह’ के जरिए रक्तदाता सदस्यों के माध्यम से रक्त उपलब्ध कराने में सक्रियता है। लेखन विधा-गीत और कविता है। स्थानीय समाचार-पत्रों में रचनाएं छपी हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको महाराष्ट्र (यवतमाल)से राज्य स्तरीय ‘साहित्य रत्न’ सम्मान,सीहोर से साहित्य सम्मान और शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए भी सम्मान प्राप्त हुए हैं। रंगीला की लेखनी का उद्देश्य-समाज को नयी दिशा प्रदान करना और विचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना है। मुंशी प्रेमचंद जी को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले श्री पाटीदार के लिए प्रेरणा पुंज-सभी शिक्षक साथी हैं।विशेषज्ञता-हिंदी में लेखन के साथ विज्ञान विषय में प्रयोग की दिशा में शाला में ‘नवाचार’ करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपका कहना है कि,”आज देश की ७० फीसदी आबादी हिंदी भाषा का उपयोग करती है,अतः समाज सुधार के लिए हिंदी भाषा एक सशक्त माध्यम है।”