दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंग,
बरस-बरस आती है होली,भीगे इक-इक अंग।
रंगों का बन इंद्रधनुष,चहुंओर उड़े है गुलाल,
रंग-रंग मिल एक हुए यूँ,दूर हुए हैं मलाल।
ढाई आखर कबीर के पढ़ गयी,मीरा मोहन संग,
सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंग।
बरस-बरस आती है होली,भीगे इक-इक अंगll
मन का मेल भी धुल गया रंग से,खुशियां भी हरषाई,
धर्म जात मजहब की जिसने,सारी दीवारें गिराई।
हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई,रंगे है सब इक रंग,
सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंग।
बरस-बरस आती है होली,भीगे इक इक अंगll
होली की मस्ती ही ऐसी,सब लगता है अपना,
भारत एक परिवार के जैसा,टूटे ना ये सपना।
मस्तों की टोली जो निकली,बाज रहा है चंग,
सात रंग में सबसे गहरा,है ये प्रेम का रंगl
बरस-बरस आती है होली,भीगे इक-इक अंगll
परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|