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इंतजार-मीठा अहसास

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ 
कोटा(राजस्थान)
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इंतजार के एक-एक पल
कितने मीठे होते हैं,
जिनमें तुम होती हो
और होती है तुम्हारी मीठी यादें,
तुम्हारे दिल से निकले
बेबाक शब्द
जो फूटते हैं तुम्हारे होंठों से,
किसी मीठे झरने की
उन बूंदों की तरह,
जो दौड़ पड़ती है,
अपने प्रियतम सागर से
मिलने के लिए,
अपना अस्तित्व खो कर।

फूलों के उस पराग की तरह,
जो बिखेर देता है
अपना अस्तित्व वातावरण में,
और खिंचा चला आता है भौंरा
गुनगुनाता हुआ अपने-आप ही।
कितने मीठे होते हैं
इंतजार के वो पल,
जब भूल जाता है मन
जमाने की उपस्थिति को,
और आँखों में समाई रहती है
तो केवल प्रियतम की छवि,
बेसुध हो जाता है दिल
थम-सी जाती है धड़कनें,
और उभर कर आती है
एक ही सोच दिल से,
अंतर्मन की गहराई से
काश!
इंतजार की घड़ियां थम जाए।

परिचय-मदन मोहन शर्मा का साहित्यिक नाम  ‘सजल’ है। जन्मतिथि ११ जनवरी १९६० तथा जन्म स्थान कोटा(राजस्थान)है। आपका स्थाई पता कोटा स्थित आर. के.पुरम है। श्री शर्मा ने स्नात्तकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) की शिक्षा हासिल की और पेशे से व्याख्याता(निजी महाविद्यालय)का कार्यक्षेत्र है। आपकी लेखनी का उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों,आडम्बरों के खिलाफ सतत संघर्ष के लिए कलम उठाए रखना है। कलम के माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारा,सौहार्द कायम करना आपका प्रयास है। गीत,कविता,गज़ल,छन्द,दोहे, लेख,मुक्तक और लघुकथाएं आदि लेखन विधा है।

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