डीजेंद्र कुर्रे ‘कोहिनूर’
बलौदा बाजार(छत्तीसगढ़)
********************************************************************
मानव को मानव से उपकार करेगा,
वहीं इंसानों का भगवान कहलाएगा।
न्योछावर कर दूसरों के लिए जिएगा,
अनूठा प्रेम का संग्रह कर पाएगा॥
हृदय जितना विशाल होगा,
वीरता की उतना मिसाल बनेगा।
उपकार कर्म से जीवन सजेगा,
खुशियों का चमन और महकेगा॥
शोषित पीड़ित वंचित को,
मौलिक अधिकार दिलाएगा।
अन्याय के अंधियारों में,
न्याय का दीपक जलाएगा॥
देख कष्ट दूसरों का भला,
अविरल अश्रु बहायेगा।
आत्मविजेता बनकर वही,
श्रेष्ठ मानव कहलाएगा॥
परिचय-डीजेंद्र कुर्रे का निवास पीपरभौना बलौदाबाजार(छत्तीसगढ़) में है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘कोहिनूर’ है। जन्मतारीख ५ सितम्बर १९८४ एवं जन्म स्थान भटगांव (छत्तीसगढ़) है। श्री कुर्रे की शिक्षा बीएससी (जीवविज्ञान) एवं एम.ए.(संस्कृत,समाजशास्त्र, हिंदी साहित्य)है। कार्यक्षेत्र में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। आपकी लेखन विधा कविता,गीत, कहानी,मुक्तक,ग़ज़ल आदि है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत योग,कराटे एवं कई साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। डीजेंद्र कुर्रे की रचनाएँ काव्य संग्रह एवं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। विशेष उपलब्धि कोटा(राजस्थान) में द्वितीय स्थान पाना तथा युवा कलमकार की खोज मंच से भी सम्मानित होना है। इनके लेखन का मुख्य उद्देश्य समाज में फैली कुरीतियां,आडंबर,गरीबी,नशा पान, अशिक्षा आदि से समाज को रूबरू कराकर जागृत करना है।