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ऋतुराज

वन्दना पुणताम्बेकर
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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गीत
गुनगुनाये
सांझ ढलते-ढलते
मंद ध्वनि
तरंगें।

खिला
गुल-गुलशन
खुशबू बिखरी मंद
मौसम हुआ
मलन्द।

भीगी
यादें कुछ
मन तरंगों में
भूली-सी
बातें।

बरखा
महकी धरा
उन्मुक्त घिरा गगन
सुखद पुरवाई
हरीतिमा।

परिचय: वन्दना पुणतांबेकर का स्थाई निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। इनका जन्म स्थान ग्वालियर(म.प्र.)और जन्म तारीख ५ सितम्बर १९७० है। इंदौर जिला निवासी वंदना जी की शिक्षा-एम.ए.(समाज शास्त्र),फैशन डिजाईनिंग और आई म्यूज-सितार है। आप कार्यक्षेत्र में गृहिणी हैं। सामाजिक गतिविधियों के निमित्त आप सेवाभारती से जुड़ी हैं। लेखन विधा-कहानी,हायकु तथा कविता है। अखबारों और पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं,जिसमें बड़ी कहानियां सहित लघुकथाएं भी शामिल हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-रचनात्मक लेखन कार्य में रुचि एवं भावनात्मक कहानियों से महिला मन की व्यथा को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है। प्रेरणा पुंज के रुप में मुंशी प्रेमचंद जी ओर महादेवी वर्मा हैं। इनकी अभिरुचि-गायन व लेखन में है।

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