पवन गौतम ‘बमूलिया’
बाराँ (राजस्थान)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….
एक सैनिक जहाँ छोड़ जाने लगा,
था खड़ा वो हिमालय थरथराने लगा।
लड़खड़ाकर गिरा होश जब खो गया,
आसमाँ भी आँसू बहाने लगाll
सरहदें कह उठी जय हो तेरी जवाँ,
तू अकेला था दुश्मन कई थे वहाँ।
तूने खाई ना गोली अरे सामने,
घाव थे पीठ पर तू सिकन्दर महाँll
वार थे पीठ पर हद हो गयी,
देख मंजर दुश्मन भी शर्माने लगा।
आसमाँ भी आँसू बहाने लगा…ll
रो पड़े रास्ते वीरवर वास्ते,
दुश्मनों के घेरे किये त्रस्त थे।
हौंसला था ग़ज़ब तू सिपाही बड़ा,
और अकेला मगर सब किये पस्त थे।
लड़ रहा सरहदों पर वतन के लिए,
तेरी गाथा पवन
गीत गाने लगा।
आसमाँ भी आँसू बहाने लगा…ll
कारगिल कारवाँ में बढ़े वीर थे,
हिन्द की जीत के शेर शमशेर थे।
कारगिल की विजय के अकथ चिह्न थे,
दुश्मनों के लगाए कई ढेर थे।
रक्त रंजित वो मंजर डराने लगा,
आसमाँ भी आँसू बहाने लगा…ll
एक सैनिक जहाँ छोड़ जाने लगा,
आसमाँ भी आँसू बहाने लगाll
परिचय –पवन कुमार गौतम का साहित्यिक उपनाम-बमूलिया है। जन्म तारीख ३ जुलाई १९७५ एवं जन्म स्थान-बमूलिया कलाँ जिला बाराँ (राजस्थान)है। वर्तमान में बमूलिया कलाँ तहसील अन्ता जिला बाराँ में ही निवास है। स्थाई पता भी यही है। शिक्षा स्नातकोत्तर (अंग्रेजी, हिंदी, राजस्थानी साहित्य, संस्कृत साहित्य,दर्शन शास्त्र,समाज शास्त्र और राजनीति विज्ञान)एवं शिक्षा स्नातक (बी.एड.)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन का है। श्री गौतम सामाजिक कार्य के अन्तर्गत समयानुसार यथासक्ति कार्यों में मदद करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता, गीत, छन्द, मुक्तक, रूबाई, ग़ज़ल, सजल, गीतिका,नज़्म तथा कव्वाली है। ओज रस की कविताओं का काव्य संकलन प्रकाशाधीन है,तो अनेक पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन जारी है। आपको विद्यालय एवं विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों सहित कोटा शैक्षणिक मंच तथा साहित्यिक मंचों से भी सम्मानित किया गया है। विशेष उपलब्धि में संगीत- गायन विधा में पारंगत होना है। आप वैदिक संस्कृत,पांडित्य एवं ज्योतिष में अध्ययनरत हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-स्वान्त सुखाय एवं परम चेतना की अनुभूति के साथ ही प्रकृति के साथ सामन्जस्य स्धापित करना व मानवीय मूल्यों के महत्व का प्रतिपादन है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता श्रीमती शांति बाई गौतम और पिता बृजमोहन गौतम सहित विष्णु विश्वास दाधीच(कवि-गीतकार), साहित्यिक गुरू स्व. गिरिधारीलाल मालव (हाड़ौती के प्रेमचन्द) एवं धर्म पत्नी सुनीता पंचोली है। इनकी विशेषज्ञता आशु काव्य वाचन व लेखन में है।