कुल पृष्ठ दर्शन : 234

You are currently viewing तेरी मोहिनी मूरत

तेरी मोहिनी मूरत

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
******************************************************************
तेरी मोहिनी मूरत भायी मुझे,
तेरी साँवली सूरत भायी मुझे।
बस गए श्याम मेरे नैनन में,
छवि बस गयी देखो रे मन में।
तेरा मोर मुकुट कुण्डल सुंदर,
है भाल तिलक,मुरली है अधर।
है प्यारी अदा बांकी चितवन में,
पनघट भटकूँ गलियन भटकूँ।
छुप गए हो किस वन कानन में,
आऊँ कदंब तले यमुना तीरे
ढूंढती हूँ वृंदावन में।
वो रास कहाँ वो बात कहाँ,
जो थी पहले बृज आँगन में।
ये तेरी जुदाई न भाई मुझे,
देखो पल-पल आये रुलाई मुझे।
खत-खत लिख-लिख कूप है पाटे,
कब्जा संग है प्रीत लगाई तूने
और राधिका दी रे भुलाई तूने।
आ जाओ मेरे गिरधारी,
अब तो अँखियाँ रो-रो हारी
और न लो परीक्षा मुरारी॥

परिचय-रश्मि लता मिश्रा का बसेरा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। जन्म तारीख़ ३० जून १९५७ और जन्म स्थान-बिलासपुर है। स्थाई रुप से यहीं की निवासी रश्मि लता मिश्रा को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली रश्मि ने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(सेवानिवृत्त शिक्षिका )रहा है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में उपाध्यक्ष सहित कईं सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। सभी विधा में लिखने वाली रश्मि जी के २ भजन संग्रह-राम रस एवं दुर्गा नवरस प्रकाशित हैं तो काव्य संग्रह-‘मेरी अनुभूतियां’ एवं ‘गुलदस्ता’ का प्रकाशन भी होना है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-भावांजलि काव्योत्सव,उत्तराखंड की जिया आदि प्रमुख हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-नवसृजन एवं हिंदी भाषा के उन्नयन में सहयोग करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-मेहरून्निसा परवेज़ तथा महेश सक्सेना हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी भाषा देश को एक सूत्र में बांधने का सशक्त माध्यम है।” जीवन लक्ष्य-निज भाषा की उन्नति में यथासंभव योगदान जो देश के लिए भी होगा।