कुल पृष्ठ दर्शन : 197

You are currently viewing ले लो बधाई

ले लो बधाई

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
******************************************************************

कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

नंद के नन्दन,जग के वन्दन,
आये आधी रात,अष्टमी वाली
नक्षत्र रोहिणी घिरी अंधियारी।
बादल ऐसे बरस रहे थे,
इंद्रदेव ज्यों गरज रहे थे।
यमुना माता थीं उफान पर,
लहरें नाचे तांडव तान पर।
ऐसे में जब कैद देवकी,
कंस की पहरेदारी में।
प्रगट हुए मोहन ज्यों देखो,
दुःख बदला किलकारी में।
तब से आज तलक हैं मनाते,
कृष्ण अवतरण दिवस बड़ी धूम से।
गोविंदाओं की टोलियां,
निकले देखो झूम के।
जगह-जगह मटकियां बंधती,
माखन-मिश्री भर-भर के
मटकी तोड़न आये गोविंदा,
भीड़ निकलें घर-घर से।
श्रद्धा और विश्वास की बातें,
कुछ करते उपवास की बातें
झांकी प्यारी-प्यारी सजाते,
दूध-दही स्नान कराते।
भजन-कीर्तन राग सुनाते,
झूला मोहन को है झुलाते।
रंग-बिरंगी पोशाकें पहना,
सर पर मोर मुकुट पहनाते।
सकल जगत ये पर्व मनाये,
हरे कृष्णा धुन प्रेम से गाये।
राधे प्यारी को भी बुलाये,
जसुदा माँ फूली न समाई
सारी दुनिया दौड़ी आई,
जन्म दिवस की देने बधाई
जन्माष्टमी की ले लो बधाई।
बधाई,बधाई,बहुत बधाई॥

परिचय-रश्मि लता मिश्रा का बसेरा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। जन्म तारीख़ ३० जून १९५७ और जन्म स्थान-बिलासपुर है। स्थाई रुप से यहीं की निवासी रश्मि लता मिश्रा को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली रश्मि ने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(सेवानिवृत्त शिक्षिका )रहा है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में उपाध्यक्ष सहित कईं सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। सभी विधा में लिखने वाली रश्मि जी के २ भजन संग्रह-राम रस एवं दुर्गा नवरस प्रकाशित हैं तो काव्य संग्रह-‘मेरी अनुभूतियां’ एवं ‘गुलदस्ता’ का प्रकाशन भी होना है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-भावांजलि काव्योत्सव,उत्तराखंड की जिया आदि प्रमुख हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-नवसृजन एवं हिंदी भाषा के उन्नयन में सहयोग करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-मेहरून्निसा परवेज़ तथा महेश सक्सेना हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी भाषा देश को एक सूत्र में बांधने का सशक्त माध्यम है।” जीवन लक्ष्य-निज भाषा की उन्नति में यथासंभव योगदान जो देश के लिए भी होगा।

Leave a Reply