ओमप्रकाश मेरोठा
बारां(राजस्थान)
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नफरत और विद्वेष भाव को,
मन से दूर भगाना होगा।
राम राज्य को इस पावन धरा पर,
फिर से तुमको लाना होगा।
आओ मिलकर करें साधना,
द्विश शक्ति के तंत्र की।
गूंजे फिर जयकार धरा पर,
सत्य सनातन धर्म की।
शांति-अमन के देश से अब,
बुराई को मिटाना होगा।
दहन करके आतंकी रावण का,
आज फिर से श्रीराम को आना होगा।
चीख रही है भारत माता,
बढ़ गया धरा पर अत्याचार।
राम-राम पुकार रही है,
मानवता बेशर्म हो गई है।
मरते थे इंसान कभी,पर,
अब मर रही है इंसानियत।
पैसे सत्ता और ताकत के,
लालच में आ गई हैवानियत।
जब गौ माता की कदर होगी,
तब धरती पर स्वर्ग,स्वयं बन जाएगा।
पाल रहे लोग राक्षस भैंसे को,
और,दूर भगा रखा है गो माता को।
सतयुग में राक्षस थे अत्याचारी,
कलयुग में मानव है बलात्कारी।
कैसे-कौन बनाएगा रामराज्य,
जगह-जगह पर बैठे हैं भ्रष्टाचारी।
रामजी की मर्यादा को अपनाओ,
पुरानी संस्कृति,वापिस बतलाओ।
गीता-रामायण को पुस्तक में छपवाओ,
हर बच्चे को फिर से धर्म पढ़ाओ।
ज्ञान रूपी संसार में,
राम-लखन स्वयं चले आएंगे।
देख दशा मानवता की,वो,
फिर से रामराज्य बना जाएंगे॥
परिचय-ओमप्रकाश मेरोठा का निवास राजस्थान के जिला बारां स्थित छबड़ा(ग्राम उचावद)में है। ७ जुलाई २००० को संसार में आए श्री मेरोठा ने आईटीआई फिटर और विज्ञान में स्नातक किया है,जबकि बी.एड. जारी है। आपकी रचनाएं दिल्ली के समाचार पत्रों में आई हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में भारत स्काउट-गाइड में राज्य पुरस्कार (२०१५)एवं पद्दा पुरस्कार(२०२०)आपको मिला है।