इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)
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यह परम सत्य है कि,संकटकाल में ही बुद्धिमानों की वास्तविक परीक्षा होती है,और उसमें जो सफल होते हैं वही सफलता का झंडा बुलंद करते हुए विजयश्री का शंखनाद करते हैं। उपरोक्त सफल व्यक्तित्व ही मुकद्दर के सिकंदर
भी कहलाते हैं।
सर्वथा संकटकाल में व्यक्ति अकेला रह जाता है। मात्र अकेला नहीं,बल्कि नितांत अकेला रह जाता है। माँ-बाप,भाई-बहन,रिश्ते-नाते और मित्र ही नहीं,बल्कि सात जन्मों तक संबंध निभाने की कसमें खाने वाली धर्मपत्नी के साथ-साथ बच्चे भी साथ छोड़ जाते हैं। साधारणतया ऐसी कठिन परीक्षा में बड़े-बड़े विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति दम तोड़ देते हैं या संकट के आगे नतमस्तक हो जाते हैं,परंतु जो कर्मठ बुद्धिमान ऐसी परिस्थितियों में भी अडिग रहते हुए अपने पथ पर अग्रसर होते हैं,उन्हीं पुरुषों को समय आने पर ‘महापुरुषों’ की उपाधि से विभूषित करना सामाजिक रीत पुरानी है,जो युगों-युगों से चलती आ रही है।
संकटकाल की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के उपरांत ही समाज ने युग पुरुष राजा दशरथ के पुत्र युवराज राम को ‘श्रीराम’ और ‘मर्यादा पुरुषोत्तम राम’ की उपाधि प्रदान की थीं। संकटों का निवारण करने वाले श्रीराम भक्त हनुमानजी को भी ‘संकटमोचन’ की संज्ञा संकटकाल के आधार पर ही दी गई थी।
अतः,कड़वा सच यही है कि जीवन का स्वर्णिम काल वास्तव में ‘संकटकाल’ होता है, जिसकी पावन परीक्षा में शनिदेव जी और हनुमान जी की अपार कृपा एवं आशीर्वाद से पापों का अंत और पुण्यों का उदय होता है।
परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।