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शिक्षा और न्याय में हिन्दी बेहद आवश्यक

इंदु भूषण बाली ‘परवाज़ मनावरी’
ज्यौड़ियां(जम्मू कश्मीर)

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सम्पूर्ण शिक्षा नीति का नवीनीकरण हो रहा है,किन्तु जब तक न्यायपालिका में हिन्दी भाषा का प्रयोग नहीं होता,तब तक सब शिक्षा व्यर्थ है। इस पर सशक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को संज्ञान लेकर अहम भूमिका निभानी चाहिए,क्योंकि न्याय का रोना जन्म के साथ ही हो जाता है और शिशु के रोने मात्र से माँ उसे स्तनपान करवा कर भूख को शांत करा देती है। अर्थात शिशु को न्याय मिल जाता है। शिशु का रोना माँ भली-भांति समझ जाती है। हालांकि,रोने की कोई भाषा-शिक्षा नहीं होती,फिर भी माँ उस वाणी को समझती है। उसी वाणी को ‘मातृभाषा’ का नाम दिया गया और शिक्षा की उत्पत्ति भी माँ से ही हुई। यही कारण है कि,माँ को प्रथम गुरू माना गया है। दूसरी ओर दुर्भाग्य यह है कि भारतीय रोते रहते हैं,क्योंकि अंग्रेजी नागरिकों को नहीं आती और मातृभाषा हिन्दी में न्याय का निर्णय नहीं आता। फलस्वरूप न्यायधीश कभी न्याय नहीं दे पाते। बस ‘न्याय’ के नाम पर ‘निर्णय’ देते रहते हैं।
महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री श्री मोदी से आग्रह-माँग है कि भारतीयता,संस्कृति और सभ्यता को बचाने एवं शहीदों की आत्माओं को न्याय देने हेतु न्यायपालिका के स्तंभ में भी हिन्दी भाषा को लागू कर सम्मान दिलाएं। भले ही संसद में बिल पारित करें या राष्ट्रहित में ऐसा कर डालें,अन्यथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी हिन्दी बोलने का कोई अर्थ नहीं है।

परिचय–इंदु भूषण बाली का साहित्यिक उपनाम `परवाज़ मनावरी`हैL इनकी जन्म तारीख २० सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-मनावर(वर्तमान पाकिस्तान में)हैL वर्तमान और स्थाई निवास तहसील ज्यौड़ियां,जिला-जम्मू(जम्मू कश्मीर)हैL राज्य जम्मू-कश्मीर के श्री बाली की शिक्षा-पी.यू.सी. और शिरोमणि हैL कार्यक्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों से लड़ना व आलोचना है,हालाँकि एसएसबी विभाग से सेवानिवृत्त हैंL सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप पत्रकार,समाजसेवक, लेखक एवं भारत के राष्ट्रपति पद के पूर्व प्रत्याशी रहे हैंL आपकी लेखन विधा-लघुकथा,ग़ज़ल,लेख,व्यंग्य और आलोचना इत्यादि हैL प्रकाशन में आपके खाते में ७ पुस्तकें(व्हेयर इज कांस्टिट्यूशन ? लॉ एन्ड जस्टिस ?(अंग्रेजी),कड़वे सच,मुझे न्याय दो(हिंदी) तथा डोगरी में फिट्’टे मुँह तुंदा आदि)हैंL कई अख़बारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL लेखन के लिए कुछ सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैंL अपने जीवन में विशेष उपलब्धि-अनंत मानने वाले परवाज़ मनावरी की लेखनी का उद्देश्य-भ्रष्टाचार से मुक्ति हैL प्रेरणा पुंज-राष्ट्रभक्ति है तो विशेषज्ञता-संविधानिक संघर्ष एवं राष्ट्रप्रेम में जीवन समर्पित है।

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