सारिका त्रिपाठी
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
सारिका त्रिपाठी,लखनऊ/टैग-काव्य संग्रह हम और तुम से/कविता /शीर्षक- /सब ओल्ड
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मैंने तुमसे,
जब से प्रेम किया है-
तुम्हारे नाम से
नहीं सम्बोधित किया किसी को..!
मुझे
इस नाम से,
केवल तुम्हीं को
पुकारना है..!
प्रेम की परिपक्वता
शिशु हो जाना है…!
मैं बचपना जीती हूँ…
इसीलिए…कि..
तुम्हारे प्रति
मेरा प्रेम सुरक्षित रहे…
हर पल…।
तुम्हारे प्रति,
मन में
कभी
वासना का कोई भाव
आने से पहले ही….
उसे अन्तरित कर दिया
तत्काल..,
किसी अन्य पर,
एक क्षण के लिए..
सन्तुलन हेतु…।
इसलिए कि,
मैं
प्रेम
करते रहना चाहती हूँ,
तुमसे सदैव..।
पता नहीं क्यों…?
वहाँ जाने वाले,
वे ठिठके-रास्ते
महकने लगे हैं-
जहाँ,
तुम हो;अब..!
काश!
ये दूरी
तय हो जाती,
अब तो..।
देखो!
तुम भी रोना नहीं..।
कभी तो
मिलेंगे ही..!
आँसू
आत्मा का रस है..;
इसे बचाए रखना होगा..
‘सारिका’ जाने से पहले।
जाना तो,
है ही
कभी न कभी,
हमें भी
किसी दिन
इसलिए तो
जी चाहता है
कुछ कह लें कुछ सुन लें,
जाने से पहले ये रिश्तों की दूरी
तय कर
कर लें पूरी,
और मिलकर बताएँ
अपनी मजबूरी,
तुम झगड़ो
भले ही
बुरा भी कहो पर,l
रूठो न हमसे
जाने से पहले बातें हैं,
जो भी
अब तो
कहो भी,
कहीं बीत जाए न
जीवन प्रहर अब,
कर दो क्षमा कि
न पछताएं हम तब,
भावों की सरिता में
आओ न बह लें,
जाने से पहले तुमको लिखूँ मैं
तुम लिख दो मुझको,
अब तक की अपनी
अनुभूतियों को,
शब्दों को चुनकर
छन्दों में बुनकर,
कविता में गढ़ लें
जाने से पहले न चाहूँ मैं शोहरत,
नहीं चाहूँ दौलत।
बस इतना ही चाहूँ,
कि न भी रहूँ तो
पीढ़ी दर पीढ़ी,
हमको भी पढ़ ले
जाने से पहले॥
परिचय-सारिका त्रिपाठी का निवास उत्तर प्रदेश राज्य के नवाबी शहर लखनऊ में है। यही स्थाई निवास है। इनकी शिक्षा रसायन शास्त्र में स्नातक है। जन्मतिथि १९ नवम्बर और जन्म स्थान-धनबाद है। आपका कार्यक्षेत्र- रेडियो जॉकी का है। यह पटकथा लिखती हैं तो रेडियो जॉकी का दायित्व भी निभा रही हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप झुग्गी बस्ती में बच्चों को पढ़ाती हैं। आपके लेखों का प्रकाशन अखबार में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य- हिन्दी भाषा अच्छी लगना और भावनाओं को शब्दों का रूप देना अच्छा लगता है। कलम से सामाजिक बदलाव लाना भी आपकी कोशिश है। भाषा ज्ञान में हिन्दी,अंग्रेजी, बंगला और भोजपुरी है। सारिका जी की रुचि-संगीत एवं रचनाएँ लिखना है।