मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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वसंत पंचमी स्पर्धा विशेष …..

भंवरे भी गुनगुना रहे,
कोयल पपिया बोल रही है
अब ये मौसम भी बदल रहा है,
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।
खेतों में फसल पक रही है,
सरसों के पीले फूल खिल रहे हैं
पेड़ों से पत्ते अब गिर रहे,
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।
कहीं धूल उड़ रही है,
आंधी आ रही,शीत जा रही है
अब कलियाँ,फूल खिल रहे हैं,
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।
ये भू धरा सुगन्धित गंध से महक रही,
पंछी,चिड़िया गगन में चहक रही है
अलौकिक आनंद,अनोखी छटा हो रही,
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।
प्रिय प्रियतमा की मन भावना,
विरह व्याकुल हो रही।
ये मुधर मिलन का मधु मास है,
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है॥
परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैL वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैL यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।