कुल पृष्ठ दर्शन : 413

You are currently viewing संघर्ष का पर्याय जीवन

संघर्ष का पर्याय जीवन

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

*********************************************

रचना शिल्प:कुल मात्रा भार -२५/यति-१६-९; पदांत २१२

क्षणभंगुर जीवन सकल यह,कर लोे कर्म को।
गीता का भी सार यही है,जानो मर्म को॥
इस जीवन का कर्त्तव्य सदा,बस पुरुषार्थ है।
सबको जाना इस दुनिया से,अटल यथार्थ है॥

संघर्ष का पर्याय जीवन,हार न मान लो।
जीत जाओगे हर हाल तुम,बल पहचान लो॥
हमें शिक्षा देते हैं सदा,ये संघर्ष ही।
साहस से भर देते हमको,भर मन हर्ष ही॥

रहे चुनौती कदम-कदम पर,घबराना नहीं।
जीवन कठिन परीक्षा में,राह मिले सही॥
जाना सबको इस दुनिया से,जीवन सत्य है।
इस जग में आया है जो भी,सब कुछ मर्त्य है॥

जीवन राह भरी काँटों से,बिछे फूल कहीं।
बाधाएं तो हैं जीवन भर,दिखे अंत नहीं॥
सुख व दु:ख का मेल है जीवन,अडिग बने रहो।
करें भरोसा अपने ऊपर,यह विश्वास हो॥

एकाकी ही चलना होगा,जीवन राह में।
धीरज और साहस न खोना,अति उत्साह में॥
चलें स्वयं ही सुकर्म पथ पर,मानव धर्म है।
इस जीवन का उद्देश्य यहाँ,केवल कर्म है॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’