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खुद को समझाऊँ कैसे ?

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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दर्द दिल का बताऊँ कैसे,
रूठे यार को मनाऊँ कैसे।

मोहब्बत हो गई है उनसे,
एहसास ये दिलाऊँ कैसे।

बिखर गए रिश्ते मोती से,
माला एक बनाऊँ कैसे।

तोड़ दिया दिल उसने जो,
खुद को समझाऊँ कैसे।

पेड़,सभी तुम काट रहे हो,
मेघ कहे जल बरसाऊँ कैसे।

झूठ से भरी इस दुनिया को,
सच की राह दिखाऊँ कैसे।

हो गया विषैला ‘अनिल’ अब,
साँसें अपनी बचाऊँ कैसे।

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।

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