मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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दया भाव बरसाइए,सबका कर सम्मान,
दया भावना जो रखें,वे ही होते महान।
दुर्लभ जो शुभ जीवन पाया,
मानवता मानव गुण पाया।
प्राणी मात्र जगत संसारा,
दया भाव जीवन आधारा।
हिंसा पात सदा दुखदाई,
दयावान जीवन सुखदाई।
अच्छे कर्म पुण्य के दाता,
बुरा कर्म अपयश फैलाता।
सबके हित जो दया दिखाते,
वही तथागत पूजे जाते।
दीनदयाला वो बनें,जिनके मन में नेह,
वो ही तो इस जगत से,पाते सुख स्नेह।
जिस मन में करुणा की छाया,
परमानन्द सर्व सुख पाया।
दया भाव जिसने विषराया,
दुर्गति का फल उसने पाया।
परहित में जीवन जो जीते,
प्रेम पदार्थ अमृत पीते।
सम्मानित वो जग में होते,
सबके सुख-दु:ख सदा संजोते।
आदिकाल जीवन चलन,चलता रहा जहांन,
नाम अमर उसका हुआ,दया का रखते मान॥