वंदना जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)…..

तुम मजदूर हो, गुलाम नहीं,
झुकेगा तुम्हारा स्वाभिमान नहीं।
माना कि जीवन है अभाव भरा,
फिर भी सदा तुमने धीरज धरा।
तनावों की आंधी सताए भी तो,
तुम कर्तव्य पथ भूलना नहीं।
राह के शूलों को निकाल कर
इस सफर का हो विराम नहीं,
जीवन चक्र सदा चलता रहे,
गतिमान रहे ऊर्जावान रहे।
पड़ाव आए तो विश्राम नहीं,
आराम से भी हो तो संतुष्ट नहीं।
संतुष्टि है लिप्त हो जाना,
फिर लक्ष्य का लुप्त हो जाना।
मंजिलों का भ्रम न रोक पाए,
पड़ावों का आकर्षण न लुभा पाए।
समय को जकड कर है रखना,
साहस को पकड़ कर है रखना।
सफलता का स्वाद तुम्हें चखना है,
मंजिलों के शिखर पर चलना है।
परिश्रम सदा रहे भाव तुम्हारा,
आशाओं से सदा रहे लगाव तुम्हारा।
मंगल कामनाओं के साथ कर रहा है,
समस्त विश्व आज अभिवादन तुम्हारा॥
परिचय-वंदना जैन की जन्म तारीख ३० जून और जन्म स्थान अजमेर(राजस्थान)है। वर्तमान में जिला ठाणे (मुंबई,महाराष्ट्र)में स्थाई बसेरा है। हिंदी,अंग्रेजी,मराठी तथा राजस्थानी भाषा का भी ज्ञान रखने वाली वंदना जैन की शिक्षा द्वि एम.ए. (राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन)है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक होकर सामाजिक गतिविधि बतौर सामाजिक मीडिया पर सक्रिय रहती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत व लेख है। काव्य संग्रह ‘कलम वंदन’ प्रकाशित हुआ है तो कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होना जारी है। पुनीत साहित्य भास्कर सम्मान और पुनीत शब्द सुमन सम्मान से सम्मानित वंदना जैन ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनकी उपलब्धि-संग्रह ‘कलम वंदन’ है तो लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा वआत्म संतुष्टि है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नागार्जुन व प्रेरणापुंज कुमार विश्वास हैं। इनकी विशेषज्ञता-श्रृंगार व सामाजिक विषय पर लेखन की है। जीवन लक्ष्य-साहित्य के क्षेत्र में उत्तम स्थान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘मुझे अपने देश और हिंदी भाषा पर अत्यधिक गर्व है।’